नई दिल्ली, 27 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि परिवार आधारित दल लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं और वे देश की विकास यात्रा में बाधक भी हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय की ओर से संविधान दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बाते कहीं।
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ शक्तियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर विकासशील देशों के प्रगति मार्ग में बाधा डालने का प्रयास कर रही हैं। औपनिवेशिक मानसिकता अब भी मौजूद है और यह भारत की विकास यात्रा में बाधक है। देश को इस मानसिकता से मुक्त होने की आवश्यकता है और संविधान इसके लिए सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण संबंधी पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले ही प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। इसके बावजूद, देश में पर्यावरण के नाम पर कई तरह के दबाव बनाए जा रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका दोनों ही संवैधानिक व्यवस्था का हिस्सा हैं। इन दोनों का अस्तित्व संविधान से ही है। इसलिए, व्यापक परिप्रेक्ष्य में, अलग होने के बावजूद वे एक-दूसरे के पूरक हैं।
उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ संविधान की भावना की सर्वाधिक सशक्त अभिव्यक्ति है। सरकार संविधान के प्रति समर्पित है और विकास के मामले में कोई भेदभाव नहीं करती।
इस अवसर पर देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एन.वी. रमना, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू, अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह सहित अन्य गणमान्य हस्तियां उपस्थित थीं।