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गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में बोले पीएम मोदी – ‘यह सिर्फ संस्था नहीं बल्कि जीवंत आस्था है’

गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में बोले पीएम मोदी – ‘यह सिर्फ संस्था नहीं बल्कि जीवंत आस्था है’

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गोरखपुर, 7 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गीता प्रेस दुनिया का इकलौता ऐसा प्रिंटिंग प्रेस हैं, जो सिर्फ एक संस्था नहीं है बल्कि जीवंत आस्था है। यह किसी मंदिर से कम नहीं है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को अपने गोरखपुर दौरे में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए ये उद्गार व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने शिवपुराण ग्रंथ का विमोचन किया तो वहीं संस्था के 100 सालों के इतिहास को भी याद किया।

गीता प्रेस किसी मंदिर जैसा, गांधी जी का भी था लगाव

पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारा सौभाग्य है कि इस मानवीय मिशन की शताब्दी के हम साक्षी बन रहे हैं। इस शताब्दी के मौके पर ही हमारी सरकार ने गांधी शांति पुरस्कार भी दिया है। गांधी जी का इससे भावनात्मक जुड़ा था। गांधी जी एक समय यहां की कल्याण पत्रिका के लिए लिखते थे। उनके सुझाव पर ही कल्याण पत्रिका में विज्ञापन नहीं छपते और आज भी इसका अनुसरण जारी है।’

गीता प्रेस में अध्यात्म की जो ज्योति जली, आज उससे पूरी मानवता प्रकाशित हो रही

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसके नाम में भी गीता है और काम में भी गीता है और जहां गीता है, वहां साक्षात कृष्ण हैं। फिर जहां कृष्ण हैं, वहां करुणा और कर्म दोनों हैं। यह संस्था विकास और विरासत का अद्भुत संगम है। 1923 में गीता प्रेस के रूप में यहां जो अध्यात्म की ज्योति जली, आज उससे पूरी मानवता प्रकाशित हो रही है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि आज गांधी शाति पुरस्कार गीता प्रेस को मिला है। यह देश की ओर से इसके योगदान और विरासत का सम्मान है। इन 100 सालों में गीता प्रेस ने करोड़ों किताबों को प्रकाशित किया है। गीता प्रेस की पुस्तकों ने विद्या प्रवाह किया है और कितने ही लोगों को आध्यात्मिक तृप्ति दी है।’

भारत ने गुलामी की मानसिकता को छोड़ा तो इसके पीछे गीता प्रेस का भी योगदान

पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत ने गुलामी की मानसिकता को छोड़ा है तो इसके पीछे गीता प्रेस का भी एक योगदान है। हमारे पुस्तकालयों को विदेशी आक्रांताओं ने जलाया था। फिर अंग्रेजी राज में गुरुकुलों की व्यवस्था खत्म कर दी गई। हमारे पूज्य ग्रंथ गायब होने लगे थे। आप कल्पना करिए कि गीता और रामायण के बिना हमारा समाज कैसे चला रहा होगा। जब मूल्यों और आदर्शों के स्रोत ही सूखने लगें तो समाज का प्रवाह थमने लगता है। ऐसे कितने ही पड़ाव आए हैं, जब अधर्म बलवान हुआ है और सत्य पर संकट के बादल मंडराए हैं, तब हमें गीता का संदेश मिलता है कि जब-जब धर्म पर संकट आता है, तब-तब ईश्वर उसकी रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।’

गीता प्रेस के ग्रंथों से जुड़ीं हमारी पीढ़ियां

पीएम मोदी ने कहा, ‘1923 में जब गीता प्रेस ने काम करना शुरू किया तो ग्रंथ भारत के घर-घर पहुंचने लगे। इन ग्रंथों से नई पीढ़ियां जुड़ने लगीं और आने वाली पीढ़ियां भी इससे जुड़ने लगीं। यह इस बात का प्रमाण है कि जब आपके मूल्य पवित्र होते हैं तो सफलता आपका प्रयाय बन जाती है। गीता प्रेस एक ऐसा संस्थान है, जिसने हमेशा सामाजिक मूल्यों को समृद्ध किया है और लोगों को कर्तव्य पथ का मार्ग दिखाया है।’

‘विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा देश

उन्होंने कहा, ‘संतों की तपस्या कभी निष्फल नहीं होती। उनके संकल्प कभी शून्य नहीं होते। इन्हीं संकल्पों का परिणाम है कि आज हमारा भारत सफलता के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। मैंने लालकिले से कहा था कि यह समय अपनी विरासत पर गर्व का है। आज भारत सफलता के नये आयाम प्रस्तुत कर रहा है। आज देश विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा है।

आस्था और विरासत को मिली नई पहचान : सीएम योगी

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा, ‘नए भारत के निर्माता और भारत को वैश्विक पहचान दिलाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी का गोरक्ष बाबा की धरा पर शासन और नागरिकों की तरफ से स्वागत करता हूं। पिछले नौ वर्षों में भारत की विकास यात्रा के साथ आस्था और विरासत को मिल रहे सम्मान को देखा है। भारत की गौरवशाली आस्था और विरासत को नई पहचान मिली है।’

सीएम योगी ने कहा कि योग भारत की अति प्रचानी विद्या रही है। योग को पहली बार वैश्विक मान्यता मिली, जब 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने का एलान हुआ। कुंभ सांस्कृतिक और गौरवशाली परम्परा का परिचायक है। इसे 2019 में पहचान मिली। केदारनाथ, काशी और महाकाल में विरासत को नया रूप मिला है। 500 साल बाद अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। गरीब कल्याण की योजनाएं नौ वर्षों में उतनी हुईं, जितनी आजादी के बाद कभी नहीं हुईं।’

पीएम मोदी को पहनाया उत्तरीय

इस अवसप पर गीता प्रेस परिवार की तरफ से पीएम मोदी को उत्तरीय और पुष्पगुच्छ दिया गया। ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने पीएम को उत्तरीय पहनाया। 225 से अधिक आकर्षित चित्रों वाले शिवपुराण और नेपाली भाषा में शिवपुराण का विमोचन पीएम मोदी ने किया। इसके संपादक नेपाल के काशीनाथ न्यूपाने भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

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