नई दिल्ली, 2 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के संबोधन की सराहना की। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का संबोधन प्रेरणादायक है, जिससे पूरे विश्व को फायदा होगा।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, ‘सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का प्रेरणादायक संबोधन, जिसमें उन्होंने राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के समृद्ध योगदान पर प्रकाश डाला व हमारी भूमि में गौरव की नई ऊंचाइयों को हासिल करने की अंतर्निहित क्षमता पर बल दिया, जिससे संपूर्ण विश्व को लाभ होगा।’
परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में राष्ट्र निर्माण में संघ के अतुलनीय योगदान पर प्रकाश डाला है। उन्होंने भारतवर्ष के उस सामर्थ्य को भी रेखांकित किया है, जो देश को सशक्त बनाने के साथ-साथ संपूर्ण मानवता के लिए भी कल्याणकारी है। #RSS100Years https://t.co/gsB8Sy4LPl
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इससे पहले नागपुर के ऐतिहासिक रेशमबाग मैदान में शताब्दी समारोह में मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान राष्ट्र के लिए संघ के दृष्टिकोण और लक्ष्यों को पेश किया व समाज से ऐसा ‘आदर्श’ बनाने का आग्रह किया, जो साथी नागरिकों को भारत की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित कर सके। उन्होंने कहा कि भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए, व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र, दोनों को मजबूत करना होगा। संघ शाखाओं की भूमिका की व्याख्या करते हुए भागवत ने कहा कि वे मूल्यों और अनुशासन को बढ़ावा देने वाले दैनिक कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान और गौरव का संचार करते हैं।
शताब्दी वर्ष श्री विजयादशमी उत्सव युगाब्द 5127 . #RSS100Years https://t.co/rflNunLSa5
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मोहन भागवत ने कहा कि शताब्दी वर्ष में आरएसएस का लक्ष्य ‘व्यक्ति निर्माण’ के कार्य को पूरे देश में विस्तार देना है, जिसमें ‘पंच परिवर्तन’ पहल को स्वयंसेवकों के उदाहरणों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों की ओर से अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘पंच परिवर्तन’ के मूल्य सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता व कानूनी, नागरिक और संवैधानिक कर्तव्यों के पालन पर केंद्रित हैं।
डॉ. भागवत ने पड़ोसी देशों में बढ़ती अस्थिरता पर भी चिंता व्यक्त की और व्यापक जन असंतोष के कारण श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हुए शासन परिवर्तनों का हवाला दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएं भारत के भीतर सतर्कता और आत्मनिरीक्षण की मांग करती हैं।
