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पीएम मोदी ने ज्ञान भारतम् पोर्टल का किया शुभारंभ, बोले – तकनीक से अतीत को जानना होगा आसान

पीएम मोदी ने ज्ञान भारतम् पोर्टल का किया शुभारंभ, बोले – तकनीक से अतीत को जानना होगा आसान

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नई दिल्ली, 12 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ज्ञान भारतम् पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पोर्टल का उद्देश्य भारत की प्राचीन पांडुलिपियों को डिजिटाइज कर संरक्षित करना और उन्हें आधुनिक शोध तथा तकनीकी विकास से जोड़ना है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां नष्ट हो गईं, लेकिन भारत के पास अब भी दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है, जिसकी संख्या लगभग एक करोड़ है।

भारत के पास करोड़ों पांडुलिपियां हैं, जो गर्व का विषय

पीएम मोदी ने कहा कि हर देश अपनी ऐतिहासिक धरोहर को सभ्यता की महानता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है। जहां कई देश एक पांडुलिपि को भी राष्ट्रीय धरोहर मानकर सहेजते हैं, वहीं भारत के पास करोड़ों पांडुलिपियां हैं, जो गर्व का विषय हैं। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा आज भी जीवित है क्योंकि यह संरक्षण, नवाचार, संवर्धन और अनुकूलन जैसे चार स्तंभों पर टिकी है।

अतीत के संरक्षण के साथ भविष्य के लिए अवसर भी खोलेगा यह मिशन

उन्होंने बताया कि ज्ञान भारतम् मिशन न केवल अतीत को संरक्षित करेगा बल्कि भविष्य के लिए नए अवसर भी खोलेगा। उन्होंने कहा कि प्राचीन पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन एक विशाल डेटा बैंक तैयार करेगा, जो तकनीकी शोध, नवाचार और नई खोजों के लिए आधार बनेगा। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व का सांस्कृतिक और क्रिएटिव इंडस्ट्री क्षेत्र लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर का है, और भारत की पांडुलिपियां इस क्षेत्र में नई संभावनाएं जोड़ सकती हैं।

युवाओं से इस मिशन में सक्रिय भागीदारी की अपील

प्रधानमंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे इस मिशन में सक्रिय भागीदारी करें और प्रौद्योगिकी की मदद से भारत के अतीत को दुनिया के सामने लाएं। उन्होंने कहा कि पांडुलिपियों को गहराई से समझने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एआई की मदद से इन पांडुलिपियों का व्यापक विश्लेषण किया जा सकता है और इन्हें विश्व के सामने और अधिक प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है।

पीएम मोदी ने विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से भी आग्रह किया कि वे इस दिशा में नए कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि पूरा देश स्वदेशी की भावना और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, और ज्ञान भारतम् मिशन भी इसी राष्ट्रीय भावना का विस्तार है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी धरोहर को अपनी ताकत का प्रतीक बनाना होगा और यह मिशन भविष्य के लिए एक नया अध्याय साबित होगा।

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