पीएम मोदी ने अमेरिकी अखबार को दिया इंटरव्यू, चीन से लेकर भारत-अमेरिका संबंधों पर खुलकर की बात
नई दिल्ली, 20 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका रवानगी से पहले अमेरिकी समाचार पत्र ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को दिए इंटरव्यू में चीन से लेकर भारत-अमेरिका संबंधों तक पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाला पहला प्रधानमंत्री हूं और इसलिए मेरी विचार प्रक्रिया मेरे देश की विशेषताओं और परंपराओं से प्रेरित और प्रभावित है। भारत एक अधिक उच्च, गहरी और व्यापक प्रोफाइल और एक भूमिका का हकदार है।’
नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत और गहरे हैं
पीएम मोदी ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को ‘हमारी साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ’ बताते हुए कहा, ‘नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत और गहरे हैं। एक अभूतपूर्व विश्वास है। यह सहयोग और साझेदारी व्यापार, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा तक फैली हुई है।’
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर पीएम मोदी मंगलवार सुबह राजकीय यात्रा पर अमेरिका के लिए रवाना हुए। उम्मीद है कि मोदी की अमेरिका यात्रा भारत को महत्वपूर्ण अमेरिकी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्रदान करेगी।
पीएम मोदी की यात्रा के दौरान जिन प्रमुख घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है, उनमें जनरल इलेक्ट्रिक को भारत में घरेलू स्तर पर उत्पादित लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाने के लिए अमेरिका की मंजूरी, भारत द्वारा जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाए गए तीन अरब डॉलर मूल्य के 31 सशस्त्र एमक्यू-9बी सीगार्डियन ड्रोन की खरीद और रक्षा और उच्च प्रौद्योगिकी में सुचारू व्यापार को रोकने वाली अमेरिकी बाधाओं को दूर करना शामिल हैं।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया, ‘कुल मिलाकर पीएम मोदी का संदेश था कि – वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका से लेकर विश्व अर्थव्यवस्था में इसके योगदान तक – देश का समय आ गया है। उन्होंने नई दिल्ली को वैश्विक दक्षिण के प्राकृतिक नेता के रूप में चित्रित करने की मांग की, जो विकासशील देशों की लंबे समय से उपेक्षित आकांक्षाओं के साथ तालमेल बिठाने में सक्षम था।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया, ‘मोदी ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बदलाव का आह्वान किया ताकि उन्हें एक तेजी से बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के अनुकूल बनाया जा सके और उन्हें जलवायु परिवर्तन के परिणामों से लेकर ऋण में कमी तक दुनिया के कम-संपन्न राष्ट्रों और उनकी प्राथमिकताओं का अधिक व्यापक रूप से प्रतिनिधि बनाया जा सके।’
अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में कहा गया, ‘शीत युद्ध के शुरुआती वर्षों में भारतीय नेता जवाहरलाल नेहरू द्वारा गुटनिरपेक्षता की दृष्टि के विपरीत, मोदी की विदेश नीति कई संरेखणों में से एक है, जो वैश्विक शक्तियों की एक श्रृंखला के साथ साझेदारी में भारत के हितों को आगे बढ़ाने की मांग करती है, जिसमें एक दूसरे के साथ संघर्ष भी शामिल है।’
भारत अब दुनिया में अपना सही स्थान प्राप्त कर रहा
इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी ने आपूर्ति श्रृंखलाओं के विविधीकरण की भी वकालत करते हुए कहा कि भारत दुनिया में अपना सही स्थान प्राप्त कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा, “मैं स्पष्ट कर दूं कि हम भारत को किसी देश की जगह लेने के रूप में नहीं देखते हैं। हम इस प्रक्रिया को भारत के रूप में देखते हैं, जो दुनिया में अपना सही स्थान प्राप्त कर रहा है…आज दुनिया पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई और अन्योन्याश्रित है। लचीलापन पैदा करने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक विविधीकरण होना चाहिए।’
चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति व अमन-चैन आवश्यक
चीन पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत सीमा पर शांति चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन-चैन आवश्यक है…संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में हमारा मूल विश्वास है। साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है।’