मोहन भागवत की मुस्लिम नेताओं से मुलाकात पर भड़के ओवैसी, कहा – ‘कुलीन’ तबके का जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं
हैदराबाद, 22 सितम्बर। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी इधर बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की कुछ मुस्लिम नेताओं से हो रही मुलाकातों को लेकर भड़क उठे हैं। उन्होंने मस्लिम नेताओं को मुस्लिम वर्ग का ‘कुलीन’ तबका करार देते हुए कहा है कि इनका जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है।
हैदराबाद से सांसद ओवैसी पिछले महीने पांच मुस्लिम नेताओं और भागवत के बीच हुई एक बैठक को लेकर पत्रकारों से बात कर रहे थे। इन पांचों मुस्लिम नेताओं में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरेशी, दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी के अलावा व्यवसायी सईद शेरवानी शामिल थे।
‘पूरी दुनिया आरएसएस की विचारधारा को जानती है और आप जाकर उनसे मिलते हैं‘
ओवैसी ने कहा, ‘ये लोग गए और उनसे (भागवत) मिले। क्या बात करके आए आप? पूरी दुनिया आरएसएस की विचारधारा को जानती है और आप जाकर उनसे मिलते हैं।’ ओवैसी ने सवाल दागते हुए कहा, ‘मुस्लिम समुदाय में ये लोग कुलीन वर्ग से हैं। अगर ये लोग कुछ करेंगे तो वह सच है? लेकिन जब हम अपने मूलभूत अधिकारों के लिए राजनीतिक रूप से लड़ते हैं तो हम बुरे हो जाते हैं?’
“These elite intellectuals have nothing to do with ground reality.” @asadowaisi said on RSS chief Mohan Bhagwat meeting with muslim intellectuals on communal harmony and hate speech. pic.twitter.com/y7mCPFV5oh
— Milan Sharma MSD (@Milan_reports) September 22, 2022
एआईएमआईएम चीफ ने कहा, ‘यह जो अभिजात वर्ग है, जो सोचता है कि वह बहुत जानकार है। इनका जमीनी वास्तविकता से कोई ताल्लुक नहीं है, धरातल पर क्या हो रहा है वे नहीं जानते। वे आराम से रह रहे हैं और वे आरएसएस प्रमुख से मिलते हैं। यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है, मैं इस पर सवाल नहीं करता, लेकिन इसी तरह उनका भी हमसे कोई सवाल करने का अधिकार नहीं है।’
इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का मुस्लिम नेताओं की मुलाकात का क्रम जारी है। गुरुवार को ही उन्होंने अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य मौलवी उमर अहमद इलियासी से दिल्ली के मध्य स्थित एक मस्जिद में मुलाकात की। इसे ‘बंद दरवाजे की बैठकट के रूप में वर्णित किया गया, जो एक घंटे से अधिक समय तक चली।