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अयोध्‍या : रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के लिए सिर्फ 84 सेकेंड का मुहूर्त, इस शुभ घड़ी में होगी पूजा

अयोध्‍या : रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के लिए सिर्फ 84 सेकेंड का मुहूर्त, इस शुभ घड़ी में होगी पूजा

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वाराणसी, 23 दिसम्बर। अयोध्‍या में श्रीराम जन्‍मभूमि पर निर्मित भव्‍य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा अगले वर्ष 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होगी। रामलला की मूर्ति की स्थापना का विशिष्ट मुहूर्त 22 जनवरी को मध्याह्न 12 बजकर 29 मिनट आठ सेकेंड से आरंभ होगा और यह 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकेंड तक रहेगा। यानी प्राण प्रतिष्‍ठा के लिए कुल 84 सेकेंड (एक मिनट 24 सेकेंड) का अति सूक्ष्‍म मुहूर्त है।

काशी के श्री वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के द्रविड़ बंधुओं ने निकाला है मुहूर्त

काशी के रामघाट स्थित श्री वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के द्रविड़ बंधुओं ने 22 जनवरी का जो मुहूर्त निकाला है, उसे महाकवि कालिदास ने अपनी कृति ‘पूर्वकालामृत’ में संजीवनी मुहूर्त कहा है। इसकी विशिष्टता यह है कि किसी भी मुहूर्त में दोष उत्पन्न करने वाले पांच बाण यानी रोग बाण, मृत्यु बाण, राज बाण, चोर बाण और अग्नि बाण में से कोई बाण संजीवनी मुहूर्त में नहीं रहेगा। पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि ये पांचों बाण अपने नाम के अनुरूप प्रभाव छोड़ते हैं।

स्वगृही रहेंगे छह ग्रह

इस मुहूर्त की दूसरी विशेषता यह है कि उस दौरान नौ ग्रहों में से छह मित्र ग्रह के रूप में अपने घरों में रहेंगे। मेष लग्न का गुरु इस मुहूर्त का प्राण है। लग्नस्थ गुरु की पूर्ण दृष्टि पांचवें, सातवें और नौवें घर पर पड़ रही है। ऐसा होना अत्यंत शुभकारी है। लग्नस्थ गुरु सर्वदोषों का शमन करने में समर्थ होता है। वहीं मित्र ग्रह के रूप में दूसरे घर में उच्च का चंद्रमा, छठे घर में केतु, नौवें घर में बुध और शुक्र तथा 11वें घर में शनि विराजमान हैं। शास्त्रों के अनुसार नौवें घर के बुध सौ दोषों और शुक्र दो सौ दोषों का निवारण करने में अकेले सक्षम होते हैं।

नौ आकार के नौ मंडपों में होंगे अनुष्ठान

काशी के वैदिकों के सुझाव पर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए नौ मंडप बनाए गए हैं। इन मंडपों में नौ आकार के हवन कुंडों का निर्माण होगा। सूत्रों के अनुसार कुंडों के निर्माण अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देश पर उनके पुत्र पं. अरुण दीक्षित शीघ्र ही अयोध्या रवाना होने वाले हैं। सभी नौ मंडपों में एक साथ अनुष्ठान होंगे। शास्त्रत्तें के अनुसार कुंडों की नौ आकृतियां चतुष्कोणीय, पद्मकारा, अर्द्धचंद्र, त्रिकोण, वृत्ताकार, योनिकार, षटकोणीय, अष्टकोणीय होती हैं। एक प्रधान कुंड होता है।

काशी से अयोध्या जाएंगी नौ समिधाएं

अयोध्या में निर्मित नौ मंडपों के नौ कुंडों में प्रयुक्त होने वाली नौ प्रकार की समिधाएं काशी के ही वैदिक ले जाएंगे। प्रत्येक कुंड में एक समिधा से हवन होगा। इन समिधाओं में पलाश, खैर, अर्क, गूलर, पीपल, पाकड़, शमी, कुशा, दुर्वा शामिल हैं। इनके अलावा अनुष्ठान में प्रयुक्त होने वाले कसाय (काढ़ा) के लिए विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों की छाल, मूल और पत्तियों का भी काशी में संग्रह हो रहा है। यह काढ़ा तैयार करने के लिए 51 प्रकार की औषधियां गोला दीनानाथ से खरीदी जाएंगी।

चारों वेदों के 51 विद्वान काशी का करेंगे प्रतिनिधित्व

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए होने वाले अनुष्ठान में कुल 121 वैदिक शामिल होंगे। इनमें सर्वाधिक 51 वैदिक काशी के होंगे, जो चारों वेदों की मूल शाखाओं का पारायण करेंगे। अब तक 35 विद्वानों के नाम फाइनल हो चुके हैं। शेष नाम पर जल्द ही अंतिम निर्णय कर लिया जाएगा। कांची पीठाधीश्वर की पहल पर शुक्ल यजुर्वेद के अधिकृत विद्वानों को कांचित से आमंत्रित किया गया है।

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