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भाषा विवाद पर आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण बोले – ‘हिन्दी को लेकर डर क्यों? सबको सीखनी चाहिए’

भाषा विवाद पर आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण बोले – ‘हिन्दी को लेकर डर क्यों? सबको सीखनी चाहिए’

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हैदराबाद, 11 जुलाई। महाराष्ट्र में शिवसेना (UBT) व महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की ओर से किए जा रहे हिन्दी भाषा के विरोध के बीच आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा है कि हिन्दी का अंधा विरोध उचित नहीं है, खासकर ऐसे दौर में जब भाषा शिक्षा, रोजगार या व्यवसाय में बाधा नहीं रही। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा विरोध आने वाली पीढ़ियों की प्रगति में बाधा बन सकता है।

हिन्दी को अपनाने की व्यावहारिक आवश्यकता पर जोर

गाचीबावली स्थित GMC बालयोगी स्टेडियम में ‘दक्षिण संवादम’ विषय पर आयोजित राज्य भाषा विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी सहित कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए पवन कल्याण ने हिन्दी को अपनाने की व्यावहारिक आवश्यकता पर जोर दिया, खासकर विभिन्न क्षेत्रों में इसके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए।

हिन्दी में डब की जा रहीं 31 फीसदी दक्षिण भारतीय फिल्में

पवन कल्याण ने पूछा, ‘हम दूसरे देशों में जाकर उनकी भाषाएं सीखते हैं। फिर हिन्दी को लेकर इतना डर ​​क्यों है? जब हम अंग्रेजी में आराम से बात कर लेते हैं तो हिन्दी में बात करने में हमें झिझक क्यों होती है?’

उन्होंने यह भी बताया कि 31 प्रतिशत दक्षिण भारतीय फिल्में हिन्दी में डब की जा रही हैं, जिससे अच्छी-खासी कमाई हो रही है। इसी क्रम में उन्होंने सवाल किया, ‘क्या आपको व्यवसाय के लिए हिन्दी की जरूरत है या नहीं? हिन्दी सीखने का मतलब अपनी पहचान खोना नहीं है।’

हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है

डिप्टी सीएम ने कहा, ‘अब्दुल कलाम तमिल थे, फिर भी उन्हें हिन्दी से प्यार था। हमें सांस्कृतिक गौरव को भाषाई कठोरता से नहीं जोड़ना चाहिए। चाहे कितनी भी भाषाएं हों, हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। यदि मातृभाषा मां है, तो हिन्दी हमारी दादी जैसी है। दूसरी भाषा को अपनाने का मतलब खुद को खोना नहीं, बल्कि साथ मिलकर आगे बढ़ना है।’ उन्होंने लोगों से भाषा की राजनीति से ऊपर उठकर सोचने और यह सोचने का आग्रह करते हुए बताया कि अगली पीढ़ी को क्या लाभ होगा। उन्होंने कहा, ‘हिन्दी बोलने से इनकार करना भविष्य के अवसरों के द्वार बंद करने जैसा है।’

भारतीय भाषाओं के लिए यह स्वर्णिम काल – जी किशन रेड्डी

केंद्रीय मंत्री जे किशन रेड्डी ने अपने उद्बोधन में कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय भाषाओं के लिए स्वर्णिम काल चल रहा है। पिछले एक दशक में राष्ट्र भाषा विभाग ने हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं की सक्रियता बढ़ाने के लिए अलग-अलग काम किए हैं।

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