लखनऊ, छह दिसंबर। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर मंगलवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि अगर देश की सरकारें संविधान के पवित्र उसूलों के तहत काम करतीं, तो करोड़ों गरीबों को कई मुसीबतों से मुक्ति मिल गई होती।
मायावती ने सुबह लखनऊ में आंबेडकर के 66वें परिनिर्वाण दिवस पर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘‘देश को पूर्ण जनहितैषी, कल्याणकारी एवं समतामूलक संविधान देकर धन्य करने वाले परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर शत-शत नमन। उन्होंने हर मामले में बेहतरीन संविधान देकर भारत का नाम देश-दुनिया में जो रौशन किया है वह अनमोल है।
देश उनका सदा आभारी है।” पूर्व मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट किया, ‘‘देश की सरकारें काश उस संविधान के पवित्र उसूलों के तहत कार्य करतीं, तो यहां करोड़ों गरीब एवं मेहनतकशों को कई मुसीबतों से कुछ मुक्ति मिल गई होती। संविधान के आदर्श को ज़मीनी हकीकत में बदलकर लोगों के अच्छे दिन लाने की ज़िम्मेदारी में विमुखता एवं विफलता दुखद, चिंतनीय है।”
उन्होंने कहा, ‘‘बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर का नाम आते ही संवैधानिक हक के तहत लोगों के हित, कल्याण, उनके जान-माल-मज़हब की सुरक्षा तथा आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ जीने की गारंटी की याद आती है। अतः रोज़ी-रोटी, न्याय, सुख-शांति व समृद्धि से वंचित लोगों की चिंता करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धाजलि है।”
- परिनिर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता?
परिनिर्वाण का अर्थ है ‘मृत्यु पश्चात निर्वाण’ यानी मौत के बाद निर्वाण। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के कई प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में एक है। इसके अनुसार, जो व्यक्ति निर्वाण करता है। वह सांसारिक मोह माया, इच्छा और जीवन की पीड़ा से मुक्त रहता है।
साथ ही वह जीवन चक्र से भी मुक्त रहता है। लेकिन निर्वाण को हासिल करना आसान नहीं होता है। इसके लिए सदाचारी और धर्म सम्मत जीवन व्यतीत करना पड़ता है। बौद्ध धर्म में 80 वर्ष में भगवान बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वान कहा जाता है।