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महाकुम्भ 2025 : मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, अखाड़ों ने किया अमृत स्नान

महाकुम्भ 2025 : मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, अखाड़ों ने किया अमृत स्नान

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महाकुम्भ नगर, 14 जनवरी। महाकुम्भ 2025 के दूसरे स्नान पर्व मकर संक्रांति पर मंगलवार को 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी यानी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं 13 अखाड़ों के साधु संतों ने बारी-बारी से अमृत स्नान किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने X पर कहा, ‘आस्था, समता और एकता के महासमागम महाकुम्भ 2025 में पावन मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने वाले सभी पूज्य संतगणों, कल्पवासियों और श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन। प्रथम अमृत स्नान पर्व पर आज 3.50 करोड़ से अधिक पूज्य संतों और श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया।’

सीएम योगी ने कहा, ‘प्रथम स्नान पर्व के सकुशल संपन्न होने पर सनातन धर्म के आधार सभी पूज्य अखाड़ों, मेला प्रशासन, स्थानीय पुलिस व प्रशासन, स्वच्छता कर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों और धार्मिक संस्थाओं, नाविकों आदि को ह्रदय से साधुवाद और बधाई।’

महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संतों ने सबसे पहले किया अमृत स्नान

महाकुम्भ मेले के मुख्य आकर्षण अखाड़ों के अमृत स्नान में सबसे पहले सन्यासी अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने ‘हर हर महादेव’ के घोष के साथ संगम पर अमृत स्नान किया।

12 पूर्णकुम्भ होने पर 144 साल बाद यह महाकुम्भ आता है

अमृत स्नान के उपरांत महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी जी महाराज ने कहा, ‘हर 12 साल में पूर्णकुम्भ प्रयागराज में होता है और 12 पूर्णकुम्भ होने पर 144 साल बाद यह महाकुम्भ आता है। बहुत भाग्यशाली लोगों को महाकुम्भ में स्नान का अवसर मिलता है। महानिर्वाणी अखाड़े से 68 महामंडलेश्वर और हजारों साधु संतों ने अमृत स्नान किया।’

निरंजनी के 35 महामंडलेश्वरों व हजारों नागा सन्यासियों ने किया अमृत स्नान

अमृत स्नान के अगले क्रम में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने अमृत स्नान किया, जिसमें सबसे आगे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी थे और उनके बाद अखाड़ा के झंडे और फिर आराध्य देवता कार्तिकेय स्वामी और सूर्य नारायण पालकी पर सवार थे। इनके पीछे नागा सन्यासियों की टोली थी और इन सभी के बीच निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि एक भव्य रथ पर सवार थे। अमृत स्नान के बाद निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कहा, ‘निरंजनी के 35 महामंडलेश्वरों ने और हजारों की संख्या में नागा सन्यासियों ने अमृत स्नान किया।’

निरंजनी अखाड़े की साध्वी और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, ‘घाट पर युवाओं की भीड़ यह बताती है कि युवाओं में सनातन धर्म के प्रति कितनी आस्था है। जब भी किसी ने सनातन धर्म को चुनौती दी, युवा और संत समाज ने आगे आकर धर्म की रक्षा की।’

निरंजनी और आनंद अखाड़े के बाद जूना अखाड़े, आवाहन अखाड़े और पंचअग्नि अखाड़े के हजारों साधु संतों ने अमृत स्नान किया। जूना के साथ ही किन्नर अखाड़े के संतों ने भी गंगा में डुबकी लगाई। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि भव्य रथ पर सवार होकर स्नान घाट पर आए और उनके साथ हजारों की संख्या में नागा सन्यासी भी थे।

संन्यासी अखाड़ों के बाद तीन बैरागी अखाड़ों – श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा ने बारी बारी से स्नान किया। इनके बाद उदासीन अखाड़ों – पंचायती नया उदासीन और पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े ने स्नान किया। सबसे आखिर में श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने अमृत स्नान किया।

कड़ाके की ठंड और कोहरे के बावजूद प्रयागराज में हर दिशा से जनसैलाब सुबह से ही संगम की ओर जाता दिखाई दिया। आम श्रद्धालुओं ने स्नान के साथ ही संगम क्षेत्र में अखाड़ों के साधु संतों के भी दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त किया।

इधर, संगम स्नान करके अपने गंतव्यों की ओर लौट रहे श्रद्धालुओं के लिए नगर के विभिन्न चौराहों और मुख्य मार्गों पर नगरवासियों द्वारा व्यापक स्तर पर सब्जी पूड़ी और खिचड़ी प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई थी।

 

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