रेपो दर में लगातार 10वीं बार कोई बदलाव नहीं, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास बोले – देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत
मुंबई, 9 अक्टूबर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार दसवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। रेपो दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।
MCP के 6 में 5 सदस्यों ने रेपो दर यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (MCP) की सोमवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है। समिति के छह सदस्यों में से पांच ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया।
इसके साथ ही एमपीसी ने अपने रुख में बदलाव किया और इसे ‘तटस्थ’ करने का निर्णय लिया। रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए इसका उपयोग करता है।
वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत
शक्तिकांत दास ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर चुनौतियों के बावजूद देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। मौजूदा स्थिति पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने के अनुमान को कायम रखा गया है। इसके साथ चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है।’
विकास व मुद्रास्फीति में संतुलन के लिए तटस्थ स्थिति में बदलाव करें
गवर्नर दास ने बताया कि आरबीआई की मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण में प्रत्येक पक्ष के प्रति बदलाव हुआ है। उन्होंने आर्थिक विकास का समर्थन करते हुए अपने उद्देश्यों के साथ मुद्रास्फीति को संतुलित करने के लिए केंद्रीय बैंक की प्रतिबद्धता पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘एमपीसी ने निर्णय लिया कि मौद्रिक नीति की स्थिति को तटस्थ में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, और मुद्रास्फीति और लक्ष्य के अनुरूप उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करें।’ उन्होंने कहा कि यह नई स्थिति आर्थिक विकास को खतरे में डाले बिना मुद्रास्फीति के दबाव के प्रबंधन के लिए आरबीआई के संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाती है।
मुद्रास्फीति जोखिम और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बरकरार
शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई का ध्यान दीर्घकालिक उद्देश्यों के अनुरूप स्थिर मुद्रास्फीति प्राप्त करने और स्थायी आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने पर है। केंद्रीय बैंक का लक्ष्य मुद्रास्फीति और विकास की जरूरतों पर प्रतिक्रिया देने में लचीला बने रहना है, विशेष रूप से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण चल रहे मुद्रास्फीति जोखिमों को देखते हुए।