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मणिपुर में नीतीश कुमार की JDU का भाजपा को झटका, राज्य सरकार से वापस लिया समर्थन

मणिपुर में नीतीश कुमार की JDU का भाजपा को झटका, राज्य सरकार से वापस लिया समर्थन

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इम्फाल, 22 जनवरी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई वाली जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भारतीय जनता पार्टी को झटका दिया है और पूर्वोत्तर के अशांत राज्य मणिपुर में भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि 60 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत से कहीं ज्यादा 37 सीटें हैं, लेकिन एक सीट वाली जेडीयू भी उसके साथ थी। फिलहाल अब उसने भाजपा सरकार से अलग होने का फैसला किया है।

बीते करीब दो वर्षों से अशांत चल रहे मणिपुर में भाजपा सरकार के लिए यह झटके की तरह है, जो पहले ही कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष का दबाव झेल रही है। इस बीच पटना से खबर है कि पार्टी ने मणिपुर में अपने प्रदेश अध्यक्ष वीरेन सिंह को भी पद से हटा दिया है।

जेडीयू के 6 विधायक जीते थे, जिनमें 5 पहले ही भाजपा से जुड़ गए थे

मणिपुर में सीट संतुलन की बात करें तो भाजपा ने 37 सीटों के साथ अपने दम पर सरकार बनाई है जबकि एनपीएफ के पास पांच एनपीपी के पास सात विधायक हैं। जेडीयू को अप्रत्याशित रूप से मणिपुर चुनाव में छह सीटें मिली थीं, लेकिन उसके पांच विधायकों ने कुछ माह बाद ही भाजपा ज्वॉइन कर ली थी। इसके बाद जेडीयू पास इकलौते विधायक अब्दुल नासिर थे। जेडीयू ने पत्र लिखकर विधानसभा स्पीकर को जानकारी दी है कि उसका एकमात्र विधायक भी विपक्ष में ही बैठेगा।

जेडीयू के फैसले का दिख सकता है का दूरगामी असर

मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस के पांच विधायक हैं जबकि केपीए के पास दो विधायक हैं। जेडीयू के समर्थन वापस लेने से भाजपा की सरकार के समक्ष कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस फैसला का दूरगामी का असर होगा। खासतौर पर दिल्ली से पटना तक इसके मायने निकाले जाएंगे। बिहार में इसी वर्ष अक्टूबर के आसपास विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नीतीश की पार्टी के इस फैसले को भाजपा पर सीट बंटवारे के लिए दबाव की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। बीते दिनों लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल की ओर से भी नीतीश के महागठबंधन में शामिल होने की खबरें तेजी से फैलाई गई थीं।

जहां तक मणिपुर का सवाल है तो मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर हिंसा को नियंत्रित न करने के आरोप लगते रहे हैं। विपक्ष की ओर से लगातार उन्हें हटाने की मांग होती रही है, लेकिन भाजपा ने उन्हें लगातार मुख्यमंत्री बनाए रखा है।

उल्लेखनीय है कि कि सूबे में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़पों का दौर लंबे समय से जारी है। गुवाहाटी हाई कोर्ट की ओर से मैतेई समुदाय के लोगों को भी आदिवासी इलाकों में बसने की अनुमति दिए जाने के बाद यह विवाद शुरू हुआ था। राज्य के लगभग तीन चौथाई गैर-शहरी इलाके में कुकी रहते हैं जबकि मैतेई समुदाय की आबादी राजधानी और उसके आसपास के इलाके में ही केंद्रित है।

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