
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक अप्रैल से लागू हो रही नई पेंशन स्कीम, UPS में मिलेगी 50% गारंटीकृत पेंशन
नई दिल्ली, 22 मार्च। केंद्र सरकार आगामी एक अप्रैल से केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लागू करने जा रही है। इस योजना का उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन के तौर पर एक निश्चित रकम मुहैया कराना है। नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत लाई जा रही इस योजना फिलहाल सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए है, लेकिन भविष्य में राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी इसके दायरे में लाया जा सकता है।
NPS के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को मिलेगा UPS चुनने का विकल्प
UPS का उद्देश्य कर्मचारियों को 50 फीसदी गारंटीकृत पेंशन देना है। यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं और पहले से NPS के तहत आते हैं तो आपको UPS चुनने का विकल्प मिलेगा। यदि किसी कर्मचारी ने कम से कम 25 वर्ष की सर्विस पूरी की है, तो उसे रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलेगा। यदि सर्विस 10 वर्ष से अधिक है, तो कम से कम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। यदि पेंशनधारी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार को अंतिम पेंशन का 60 फीसदी पारिवारिक पेंशन के रूप में मिलेगा।
केंद्र सरकार ने 2004 में OPS की जगह लागू कर दी थी NPS
केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 से पुरानी पेंशन योजना (OPS) को समाप्त कर दिया था और इसकी जगह नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लागू किया गया था। शुरुआत में यह केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए था, लेकिन 2009 में इसे सभी नागरिकों, नॉन-रेजिडेंट इंडियन (NRI), स्व-रोजगार करने व्यक्तियों और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी खोल दिया गया।
इस प्रकार काम करती है NPS
कर्मचारियों के वेतन से एक निश्चित राशि कटती है और इसे बाजार-आधारित इनवेस्टमेंट स्कीमों में निवेश किया जाता है। रिटायरमेंट के समय 60 फीसदी से अधिक राशि को एकमुश्त निकाला जा सकता है, जबकि बाकी 40 फीसदी फीसदी राशि को अनिवार्य रूप से एन्युइटी में निवेश करना पड़ता है, जिससे मासिक पेंशन मिलती है। OPS के विपरीत, NPS में पेंशन की कोई गारंटी नहीं होती है। पेंशन राशि पूरी तरह से स्टॉक मार्केट और निवेश योजनाओं के प्रदर्शन पर निर्भर करती है।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) क्या थी?
NPS से पहले सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत पेंशन दी जाती थी। इसमें कर्मचारी को उनकी नौकरी की आखिरी सैलरी के आधार पर पेंशन मिलती थी। पेंशन का खर्चा पूरी तरह से सरकार वहन करती थी और इसके लिए कर्मचारी को कोई योगदान राशि नहीं देना पड़ती था। महंगाई भत्ता (DA) हर वर्ष दो बार बढ़ाया जाता था। पेंशनधारी की मृत्यु के बाद परिवार को भी पेंशन मिलती थी।
कई राज्यों ने केंद्र के विपरीत OPS को वापस लागू कर दिया है
हालांकि, सरकार को लगा कि यह योजना लंबे समय तक वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं रहेगी, इसलिए इसे दिसम्बर 2003 में बंद कर दिया गया और 2004 से NPS लागू कर दिया गया। हालांकि, कर्मचारियों की मांग को देखते हुए कई राज्यों ने हाल में OPS को वापस लागू किया है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे वापस लाने से इनकार किया है।
NPS और OPS का मिश्रण है UPS
UPS का जहां तक सवाल है तो यह OPS और NPS का मिश्रण है। इसमें फिक्स्ड पेंशन, न्यूनतम पेंशन गारंटी और फैमिली पेंशन दी जाती है। सरकार और कर्मचारी दोनों को योगदान देना होगा, जिससे फंड मजबूत बना रहेगा। यह उनके लिए अच्छा है, जो गारंटीड और स्थिर पेंशन चाहते हैं।
नेशनल पेंशन सिस्टम में सरकार कोई गारंटी नहीं देती, लेकिन शेयर मार्केट अच्छा प्रदर्शन करे तो ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। जो लोग निवेश को समझते हैं, वे लंबे समय में ज्यादा लाभ कमा सकते हैं। हालांकि रिस्क ज्यादा है क्योंकि पेंशन की राशि मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करती है।
पुरानी पेंशन योजना सबसे फायदेमंद थी क्योंकि सरकार पूरी पेंशन देती थी और समय-समय पर महंगाई भत्ता भी बढ़ता था। लेकिन सरकार इसे वापस लाने के मूड में नहीं है क्योंकि इससे वित्तीय बोझ बढ़ सकता है