नई दिल्ली 18 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व में डिजीटल जगत में हो रही क्रांति में लोकतांत्रिक मूल्यों की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा कि भारत में डिजीटलीकरण के माध्यम से शासन, समावेशन, सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी एवं लाभों के हस्तांतरण एवं कल्याणकारी पहल में जबरदस्त बदलाव आ रहे हैं। पीएम मोदी ने प्रथम सिडनी डॉयलॉग में मुख्य वक्तव्य में साइबर विश्व के विषय पर बोलते हुए आगाह किया कि भविष्य की तकनीक को लेकर दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक देशों को मानवीय मूल्यों का ध्यान रखना होगा और तकनीक के दुरुपयोग की संभावना से युवा पीढ़ी को बचाना होगा।
उन्होंने कहा कि सिडनी डॉयलॉग में उन्हें निमंत्रित करना ना केवल भारत के लिए सम्मान की बात है बल्कि यह हिन्द प्रशांत क्षेत्र तथा उभरते डिजीटल जगत में भारत की केन्द्रीय भूमिका को मान्यता देना है। उन्होंने कहा कि डिजीटल जगत में हमारे इर्दगिर्द हर चीज़ बदल रही है। इसने राजनीति, अर्थव्यवस्था एवं समाज को पुनर्परिभाषित किया है तथा संप्रभुता, शासन, नैतिकता, कानून, अधिकारों एवं सुरक्षा को लेकर नये सवाल खड़े किये हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा, शक्ति एवं नेतृत्व को भी नये सिरे से आकार दिया है।
प्रधानमंत्री ने भारत में डिजीटल तकनीक के कारण पांच महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम विश्व का सर्वाधिक विस्तृत जनसूचना अवसंरचना बना रहे हैं। 1.3 अरब भारतीयों के पास एक डिजीटल पहचान है। हम छह लाख गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने वाले हैं। दूसरा- हम डिजीटल तकनीक के माध्यम से शासन, समावेशन, सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी तथा लाभों एवं कल्याणकारी पहल के हस्तांतरण से लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रहे हैं। तीसरा – भारत में विश्व का तीसरा सबसे तेजी से बढ़ता स्टार्ट अप ईको सिस्टम है। हर सप्ताह नये-नये यूनीकॉर्न्स आ रहे हैं और वे स्वास्थ्य एवं शिक्षा से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर क्षेत्र में समाधान मुहैया करा रहे हैं।
चौथा – भारत का उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों खासकर कृषि क्षेत्र में बहुत व्यापक बदलाव हो रहे हैं। हम स्वच्छ ऊर्जा, संसाधनों एवं जैवविविधता के संरक्षण में डिजीटल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। पांचवा – भारत को भविष्य के लिए तैयार करने के वास्ते बहुत बड़े स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। हम 5जी एवं 6जी जैसी टेलीकॉम तकनीक में स्वदेशी क्षमता विकसित करने के लिए निवेश कर रहे हैं।