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आत्मनिर्भर भारत के लिए स्वदेशी संचार प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत: डॉ. राज कुमार उपाध्याय

आत्मनिर्भर भारत के लिए स्वदेशी संचार प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत: डॉ. राज कुमार उपाध्याय

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नई दिल्ली, 8नवंबर। दूरसंचार विभाग (डीओटी) के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स (सी-डॉट) ने “साइड चैनल लीकेज कैप्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनालिसिस (एससीएलसीआईए) सॉल्यूशन” के विकास के लिए सीआर राव एआईएमएससीएस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।

सी-डॉट सहयोगी अनुसंधान कार्यक्रम के तहत समझौते पर किए गए हस्ताक्षर

भारतीय स्टार्टअप/संगठनों/शोध और शैक्षणिक संस्थानों के लिए सी-डॉट के नेतृत्व में साइड चैनल लीकेज कैप्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनालिसिस (एससीएलसीआईए) के सहयोगात्मक विकास के लिए सी-डॉट सहयोगी अनुसंधान कार्यक्रम (सीसीआरपी) के तहत इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस परियोजना में क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम कार्यान्वयन के वक्‍त एफपीजीए से वास्तविक समय में पावर यूसेज चेंज के माध्यम से साइड चैनल डेटा लीकेज को पकड़ने के लिए बुनियादी ढांचे (सॉफ्टवेयर और संबंधित हार्डवेयर निर्माण) का विकास शामिल है।

क्रिप्टोलॉजी के क्षेत्र में 380 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित

सीआर राव एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिक्स, स्टैटिस्टिक्स एंड कंप्यूटर साइंस (एआईएमएससीएस) देश में अपनी तरह का पहला संस्थान है जो पूरी तरह से क्रिप्टोग्राफी और सूचना सुरक्षा के क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान और इस्‍तेमाल पर केंद्रित है। संस्थान ने क्रिप्टोलॉजी के क्षेत्र में 380 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, कई तकनीकी रिपोर्ट तैयार की हैं और सॉफ्टवेयर टूल विकसित किए हैं।

इस समझौते पर हस्ताक्षर एक समारोह के दौरान किए गए, जिसमें सी-डॉट के तकनीकी निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला तथा प्रमुख अन्वेषक श्रीरामुडु और सीआर राव एआईएमएससीएस के वित्त अधिकारी बी पांडु रेड्डी भी उपस्थित थे।

संचार की जरूरतों को पूरा करने में स्वदेशी तकनीक सक्षम

सी-डॉट के सीईओ डॉ. राज कुमार उपाध्याय ने हमारे देश की संचार की खास जरूरतों को पूरा करने में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया और “आत्मनिर्भर भारत” के लिए प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

इस सहयोगात्मक समझौते पर हस्ताक्षर, आत्मनिर्भर दूरसंचार अवसंरचना के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को साकार करने और दूरसंचार सुरक्षा के क्षेत्र में भारत को दुनिया में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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