प्रदूषण ने निबटने के लिए केंद्र ने गठित किए 40 उड़न दस्ते, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
नई दिल्ली, 3 दिसम्बर। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रदूषण स्तर कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से इंफोर्समेंट टास्क फोर्स के गठन को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि प्रदूषण रोकने के उपायों को कड़ाई से लागू करने के सरकार के शपथ पत्र का उन्होंने अध्ययन किया है और उम्मीद है कि उसके मुताबिक कार्रवाई में किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी।
शीर्ष न्यायालय ने वायु प्रदूषण कम करने के उपायों को तत्काल लागू करने के लिए केंद्र की ओर से पांच सदस्यीय इंफोर्समेंट टास्क फोर्स के गठन की जानकारी के साथ ही 40 फ्लाइंग स्क्वायड शीघ्र बनाने के प्रस्ताव को मंजूर करते हुए आज संबंधित सरकारों को पिछले अदालती आदेशों एवं निर्देशों को सख्ती से लागू करने करने को कहा है।
न्यायालय ने कोविड-19 के मद्देनजर दिल्ली सरकार के अस्पताल भवन निर्माण से संबंधित लंबित कार्यों को पूरा करने की अनुमति दे दी। अदालती आदेश पर भवन निर्माण संबंधी कार्यों पर रोक लगी है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए पीठ द्वारा दो दिसंबर और उससे पहले दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक हलफनामा दायर कर उच्चतम न्यायालय को बताया था कि प्रदूषण कम करने के लिए वह गंभीर है। अदालत के 02 दिसंबर के निर्देशों के मद्देनजर पांच सदस्यों की एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया गया है । इसके अलावा प्रदूषण रोकने के तमाम ऐतिहासिक उपायों को सख्ती से लागू कराने के लिए 40 उड़न दस्ते बनाए जाएंगे, जिनमें से 17 अगले 24 घंटे में गठित कर दिए जाएंगे। उडन दस्ते अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रतिदिन वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित आयोग को देंगी।
शीर्ष अदालत ने कल केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों को फटकार लगाई थी और चेतावनी देते हुए उन्हें कहा था कि 24 घंटे में कोई ठोस उपाय किए जाएं, अन्यथा न्यायासलय इस पर आज कोई कठोर आदेश पारित करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के चीनी और दुग्ध उद्योगों को प्रदूषण के मद्देनजर औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के आदेश से छूट की गुजारिश शीर्ष अदालत से की।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें (उत्तर प्रदेश सरकार) इस मामले में प्रदूषण के मामले में गठित कमीशन के पास अपनी बात रखनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने मीडिया के एक वर्ग में अदालत से जुड़ी खबरों के प्रति असावधानी को गंभीर बताते हुए संबंधित पक्षों को इस पर गौर करने की नसीहत दी।
पीठ ने दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने कोविड-19 प्रकोप के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर दिल्ली सरकार के अस्पताल भवन के लंबित कार्यों के निर्माण की छूट देने की अर्जी स्वीकार कर ली और कहा कि प्रदूषण रोकने के सभी एहतियाती उपाय किए जाएं।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने केंद्र द्वारा टास्क फोर्स और उडन दस्तें के गठन से प्रदूषण कम करने के उपायों को लागू करने पर संदेश व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पहले भी कुछ इसी तरीके के प्रयास किए गए थे जिसके परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं।