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मोदी कैबिनेट ने डीआईसीजीसी एक्ट में संशोधन को दी मंजूरी, खाताधारकों को बड़ी राहत

मोदी कैबिनेट ने डीआईसीजीसी एक्ट में संशोधन को दी मंजूरी, खाताधारकों को बड़ी राहत

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नई दिल्ली, 28 जुलाई। केंद्र सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) एक्ट में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में लिए गए इस निर्णय से उन खाताधारकों को बड़ी राहत मिलेगी, जो घोटाले या भ्रष्टाचार के चलते वित्तीय संकट से जूझ रहे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी), येस बैंक व लक्ष्मी विलास बैंक सरीखे वित्तीय संस्थानों के ग्राहक हैं।

इस बिल को संसद के मॉनसून सत्र में रखा जाएगा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में किए गए फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (संशोधन) बिल, 2021 को मंजूरी दी है। इस बिल को संसद के मॉनसून सत्र में रखा जाएगा।

बैंक डूबने पर 90 दिनों के भीतर खाताधारकों को मिल जाएगा पैसा

सीतारमण ने कहा कि इस संशोधन से खाताधारकों और निवेशकों के पैसे की सुरक्षा मिलेगी। इसके मंजूर होने के बाद किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिनों की सीमा के भीतर मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत कॉमर्शि यली ऑपरेटेड सभी बैंक आएंगे, चाहे वह ग्रामीण बैंक ही क्यों न हों। उन्होंने बताया कि इस तरह के बीमा के लिए प्रीमियम बैंक देता है, ग्राहक नहीं।

बैंक जमा पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है डीआईसीजीसी

दरअसल, डीआईसीजीसी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का सब्सिडियरी है और यह बैंक जमा पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है। अब तक नियम यह था कि जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये का बीमा होने पर भी तब तक पैसा नहीं मिलेगा, जब तक रिजर्व बैंक कई तरह की प्रक्रियाएं नहीं पूरी करता। इसकी वजह से लंबे समय उन्हें पैसा नहीं मिलता। लेकिन एक्ट में बदलाव से ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी।

डीआईसीजीसी ही जमाकर्ताओं की धनराशि की वापसी भी सुनिश्चित करता है

डीआईसीजीसी ही यह सुनिश्चित करता है कि किसी बैंक के बर्बाद होने पर उसके जमाकर्ताओं को कम से कम पांच लाख रुपये की राशि वापस की जाए। पहले यह बीमा राशि सिर्फ एक लाख रुपये ही थी, लेकिन मोदी सरकार ने पिछले साल ही इसे बढ़ाकर पांच लाख रुपय़े कर दिया था।

अब तक के प्रावधानों के तहत पांच लाख रुपये की यह वापसी ग्राहकों को तब होती है, जब किसी बैंक का लाइसेंस रद हो जाता है और उसके लिक्विडेशन यानी एसेट आदि बेचने की प्रक्रिया शुरू होती है। लेकिन नए बिल के प्रावधानों के अनुसार अब तीन महीने के भीतर पैसा वापस करना होगा और बाकी प्रक्रिया चलती रहेगी।

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