नई दिल्ली, 24 दिसम्बर। भारतीय किसान संघ ने किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन के अगले चरण में एक से दस जनवरी तक गांव-गांव में जन-जागरण अभियान चलेगा, जिसके अंत में 11 जनवरी को देशभर के सभी ब्लॉक पर धरना-प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया जायेगा। संगठन के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी और मंत्री के .साई. रेड्डी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि केन्द्र सरकार की नीतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था ने जो गति पकड़ी है, सभी क्षेत्रों में आर्थिक सुधार हुए है, इसी से प्रेरित होकर-देशभर का किसान आशान्वित था ।
कृषि व्यापार के लिए सरकार ने तीन कानून लाये जिसमें किसान संघ ने कुछ महत्वपूर्ण सुधार सुझायें थे। अगर उन सुधारों के साथ लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होती तो किसान का भी जीवन स्तर अवश्य सुधरता। परन्तु इन कृषि व्यापार कानूनों ने किसानों को निराश किया। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के साथ-साथ किसानों को लाभकारी मूल्य मिलें, ऐसी किसी कानून व्यवस्था की अपेक्षा थी ।
इन मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ द्वारा अहिंसक, लोकतांत्रिक तरीके से शाांतिपूर्वक चरणबद्ध आंदोलन का शुभांरम्भ सितंबर 2020 में सबसे पहले कर दिया था, जिसमें 20 हजार ग्राम समितियों से प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री को ज्ञापन भिजवायें गये। फिर आठ सितंबर 2021 को 513 जिला केन्द्रों पर धरने दिये गये। परंतु सरकार को तो केवल दिल्ली बोर्डर के हिंसा व राजनीतिक ब्यानबाजी करने वाले किसानों की ही चिंता थी, बाकी देशभर के अराजनैतिक, शांतिपूर्ण किसानों से जैसे कोई लेना-देना ही नही था।
दोनों नेताओं ने कहा है कि कुछ कारण तो अवश्य रहे होंगें, जिनके रहते एक वर्ष तक चलने वाले तथाकथित किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए तीनों कृषि कानून वापस लिए गये, परंतु भारतीय किसान संघ को इस निर्णय से अचम्भा हुआ। तथाकथित आंदोलन से देश के किसान को कुछ भी नही मिला। लेकिन किसान और किसान आंदोलन पर प्रश्न चिन्ह अवश्य लगें।
वास्तव में किसानों को इस सरकार से बहुत अपेक्षाएं थी, आय दुगुनी करना , किसानों को आत्मनिर्भर बनाना, स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर किसान को बिचौलियों से आजादी दिलाना, बिना किसी कर के कृषि उपज बेचने की व्यवस्था करना और उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने की घोषणा से भी किसान उत्साहित था। परंतु दुर्भाग्य गरीबी किसान का साथ ही नहीं छोड़ रहा।