मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी प्रकरण में गठित की लीगल कमेटी, आंदोलन शुरू करने तैयारी
हैदराबाद, 18 मई। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) अब पूजा स्थल अधिनियम 1991 की बारीकी से समीक्षा करेगा और इस निमित्त उसने ने एक लीगल कमेटी गठित कर दी है। कमेटी वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और अन्य मस्जिदों से संबंधित सभी मामलों की विस्तार से समीक्षा करेगी ताकि उसके आधार पर आगे की कानूनी लड़ाई लड़ी जा सके। यदि जरूरी हुआ तो एआईएमपीएलबी इस मामले को लेकर एक शांतिपूर्ण जन आंदोलन भी शुरू कर सकता है।
केंद्र-राज्य इस मामले में खामोश बैठ गए, कोर्ट ने भी निराश किया
एआईएमपीएलबी ने एक बैठक में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर यूपी सरकार, केंद्र सरकार और खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाले राजनीतिक दल खामोश बैठ गए हैं। वहीं कोर्ट ने भी अल्पसंख्यक और पीड़ितों को निराश किया है।
बोर्ड का मानना है कि अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार हो रहा है, लेकिन मुसलमानों को इस मामले में धैर्य बनाए रखना है। बोर्ड ने ऐसी घटनाओं पर सरकार की चुप्पी को आपराधिक कृत्य करार दिया है और उसका कहना है कि इसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
एआईएमपीएलबी किसी भी मामले में पक्षकार नहीं बनेगा
हालांकि एआईएमपीएलबी ने तय किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद से लेकर जिन भी मुस्लिम धार्मिक स्थल पर विवाद खड़े हो रहे हैं, उनमें से किसी भी मामले में वह सीधे तौर पर पक्षकार नहीं बनेगा, लेकिन निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कानूनी लड़ाई के लिए मुस्लिम पक्ष की मदद करेगा। इसके लिए ही बोर्ड ने एक लीगल टीम गठित की है। इसके अलावा पूरे मामले में कानूनी सलाह के लिए एक पूर्व जस्टिस के अगुआई में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।
कोर्ट पर कानून के उल्लंघन का आरोप
बोर्ड के अनुसार पूजा स्थल अधिनियम 1991 कहता है कि पूजा स्थलों की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 में थी, वही रहेगी। इसके बाद भी एक के बाद एक मुस्लिम धर्म स्थलों पर निचली अदालतें, क्यों उसमें दखल दे रही हैं। यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।