
मार्क कार्नी ने कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के रूप में ली शपथ, जस्टिन ट्रूडो की जगह ली
ओटावा, 14 मार्च। मार्क कार्नी ने शुक्रवार को कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंधों के बीच सरकार की बागडोर संभालने वाले कार्नी ने जस्टिन ट्रूडो की जगह ली है, जो 2015 से देश के प्रधानमंत्री थे।
बैंकिंग व वित्तीय जगत में भरोसेमंद नेतृत्व के रूप में जाने जाते हैं कार्नी
बैंकिंग और वित्तीय जगत में एक भरोसेमंद नेतृत्व के रूप में लोकप्रिय मार्क कार्नी वर्ष 2008 से बैंक ऑफ कनाडा के प्रमुख के रूप में भी काम कर चुके हैं, तब उन्होंने ग्लोबल इकोनोमिक क्राइसिस में देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा था। 2013 में वह बैंक ऑफ इंग्लैंड के पहले गैर-ब्रिटिश गवर्नर बने और वहां भी ब्रेक्सिट के समय के आर्थिक प्रभावों को कम करने में अहम भूमिका निभाई।
अमेरिका के साथ संबंध सुधारने पर होगा फोकस!
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी सत्ता में ट्रंप की वापसी से कनाडा और अमेरिका के ऐतिहासिक संबंधों में दरार आ गई थी और इन चुनौतियों के बीच नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का मुख्य फोकस इन संबंधों को सुधारने पर होगा। पूर्व सेंट्रल बैंकर को रविवार को लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा का नेता चुना गया था।
ट्रूडो के 37 की जगह, कैबिनेट में होंगे 15-20 मंत्री!
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्क कार्नी का नया मंत्रिमंडल ट्रूडो के कैबिनेट के आकार का लगभग आधा हो सकता है। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया था कि उनके मंत्रिमंडल में 15 से 20 मंत्रियों के होने की उम्मीद है जबकि वर्तमान में प्रधानमंत्री सहित 37 मंत्री हैं।
ट्रंप का दबाव, कनाडा में अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार
दिलचस्प यह है कि ट्रंप ने हाल ही में कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है और दो अप्रैल को सभी कनाडाई उत्पादों पर बड़े टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने अपने विलय की धमकियों में आर्थिक दबाव की धमकी दी है और सुझाव दिया है कि बॉर्डर बस एक फिक्शनल लाइन है।
वहीं अमेरिकी व्यापार युद्ध और ट्रंप द्वारा कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने की बात ने कनाडाई लोगों को नाराज कर दिया है, जो NHL और NBA खेलों में अमेरिकी राष्ट्रगान का विरोध कर रहे हैं। यही वजह है कि स्थानीय लोग यथासंभव अमेरिकी सामान खरीदने से बच रहे हैं और वे अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं।