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मनोज झा ने पीएम मोदी को दी नसीहत – ‘आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नहीं’

मनोज झा ने पीएम मोदी को दी नसीहत – ‘आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नहीं’

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पटना, 27 जुलाई। “प्रधानमंत्री जी आप अब भी नहीं समझ पा रहे हैं। ये मेंडेट आपको सुनने के लिए दिया गया है – ‘डेवलप दि आर्ट ऑफ लिशनिंग। आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नही हैं। सुनिए। आपका भी भला होगा देश का भी भला होगा।” राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने अपने इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी के लिए ये नसीहत दी है।

मनोज झा ने इस इंटरव्यू में शहीदों व योजना आयोग जैसे तमाम मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, ‘जवान की शहादत पर हम सब श्रद्धांजली देते हैं, लेकिन संसद में इसकी चर्चा नहीं हो पाती है।’ राजद सांसद ने नीति आयोग को भी पूरी तरह असफल करार देते हुए फिर से योजना आयोग को लागू करने की भी सलाह दी। साथ ही पं. नेहरू के संसदीय लोकतंत्र के विचार को आज भी प्रासंगिक बताते हुए वर्तमान सरकार की आलोचना की।

‘जवानों की शहादत पर संसद में चर्चा तक नहीं होती

मनोज झा ने कहा, ‘जब जवान की शहादत होती है, जब तिरंगे में लिपटा हुआ जवान का शव आता है तो हम सब श्रद्धांजलि देते हैं। लेकिन फिर उसके बाद संसद में इसकी चर्चा तक नहीं होती है। आज तक संसद को पता नहीं चला कि पुलवामा में क्या हुआ था, क्या देश को जानने का अधिकार नही है ? जिन जवानों की शहादत होती है, उनके परिवार में शहादत की तस्वीर रह जाती है। वो कहानियां हम एड्रेस नहीं कर पा रहे हैं, ये असफलता है हमारी केंद्रीय सरकार की। मैं तो देखता हूं कि सीने पर ठोक-ठोक कर बोलते थे कि 370 हटा दी तो ये होगा। क्या कर रहे हो भाई? कहां हो क्या पहल की है?’

नीति आयोग एक असफल आइडिया, योजना आयोग की वापसी का दिया सुझाव

नीति आयोग है क्या भाई? एक अकेडमिक एक्सरसाइज के लिए प्रधानमंत्री जी ने एक बॉडी बना दी। इसका हासिल क्या है, शून्य बटा सन्नाटा। प्लानिंग कमीशन से क्या दिक्कत थी, सिर्फ इतनी न कि ये पं. नेहरू के जमाने से थी। नेहरु के जमाने से तो कई चीजें आप ढो रहे हैं। मजबूरी है आपकी। संसदीय लोकतंत्र नेहरू की कल्पना के बगैर नहीं चल सकती। चाहे आप तीसरा टर्म ले लें, लेकिन हकीकत नहीं बदल सकती। हककीत बदलेगी जब आप ठोस पहलकदम करते हैं और मैं वहां नीति आयोग को असफल मानता हूं। यह एक असफल आइडिया है। तो जाहिर तौर पर आपको इसे रिवाइव (फिर से जीवित करना) करना चाहिए। और जो 240 वाला मेंडेट है बीजेपी का उसका भी संदेश यही है कि ‘कलैक्टिव शुड वी रिस्टॉर्ट'( सामूहिकता को बहाल करना चाहिए)।”

‘पूरी की पूरी सरकार वाट्सएप फॉरवर्ड पर चल रही

मनोज झा ने कहा, ‘मुझे बेहद दुख होता है कि प्रधानमंत्री जैसा व्यक्ति कहता है कि विपक्ष बरगला रहा है। अरे युवाओं को बरगला लेंगे हम, इतनी हमारी हैसियत नहीं है। कभी प्रधानमंत्री जी सीधा संवाद नहीं करते हैं। उन युवाओं से बात कीजिए जो सेना में भर्ती होने के लिए कोशिश कर रहे हैं। सेना क्या सोचती थी ये सुनिए आप। प्रधानमंत्री जी, आप अब भी नहीं समझ पा रहे हैं। ये मेंडेट आपको सुनने के लिए दिया गया है, ‘डेवलप दि आर्ट ऑफ लिशनिंग। आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नही हैं। सुनिए। आपका भी भला होगा देश का भी भला होगा। असल में पूरी की पूरी सरकार वाट्सएप  फॉरवर्ड पर चल रही है। सरकार के निर्णयों में कमी इसी की वजह से है।’

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