आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा मिशन से महामारी जैसे हालात से निबटने में मदद मिलेगी : मांडविया
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन से भविष्य में वैश्विक महामारी जैसी स्थिति से निबटने में मदद मिलेगी। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने देश में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार का अवसर दिया है और सरकार ने 64 हजार करोड रूपये के निवेश के साथ प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन शुरू किया है।
मांडविया ने कहा कि कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों के इलाज तथा प्राथमिक स्तर पर उपचार के लिए सरकार ने डेढ़ लाख स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र स्थापित करने का फैसला लिया है। इसके तहत देश में ऐसे लगभग 79 हजार केंद्र शुरू हो गए र्हैं। इस मिशन के अंतर्गत उपचार से लेकर महत्वपूर्ण अनुसंधानों तक की सेवाओं के लिए देश के हर कोने में तंत्र बनाया जाएगा।
ब्लॉक स्तर तक मजबूत किया जाएगा स्वास्थ्य देखभाल तंत्र
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य अगले चार से पांच वर्ष में गांवों, ब्लॉकों, जिलों, क्षेत्रों तथा राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर रोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल तंत्र को मजबूत करना है। योजना के तहत गांवों और शहरों में स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र खोले जाएंगे, जहां बीमारियों की जांच की सुविधाएं होंगी। इन केंद्रों पर मुफ्त चिकित्सा, परामर्श, मुफ्त जांच, मुफ्त दवा जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। गंभीर बीमारी के लिए छह सौ जिलों में 35 हजार नये बिस्तर जोडे जा रहे हैं तथा एक सौ 25 जिलों में रेफरल सुविधाएं दी जायेंगी।
दूसरा पहलू : बीमारियों का पता लगाने के लिए जांच तंत्र का विकास
इस योजना का दूसरा पहलू बीमारियों का पता लगाने के लिए जांच तंत्र से संबंधित है। मिशन के अंतर्गत बीमारियों की जांच और निगरानी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा। देश के 730 जिलों में एकीकृत जनस्वास्थ्य प्रयोगशालाएं तथा तीन हजार ब्लॉकों में खंड जन स्वास्थ्य इकाइयां होंगी। इसके अतिरिक्त पांच क्षेत्रीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, 20 मेट्रोपॉलिटन इकाइयां और 15 बीएसएल प्रयोगशालाएं होंगी।
तीसरा पहलू : वैश्विक महामारियों का अध्ययन करने वाले संस्थानों का विस्तार
योजना का तीसरा पहलू वैश्विक महामारियों का अध्ययन करने वाले संस्थानों का विस्तार करने से संबंधित है। मौजूदा अस्सी विषाणु जांच और अनुसंधान प्रयोगशालाओं को सुदृढ किया जाएगा, 15 जैव सुरक्षा स्तर की प्रयोगशालाओं को चालू किया जाएगा और चार नए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान स्थापित किए जाएंगे। दक्षिण एशिया के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफार्म भी इस तंत्र को मजबूती प्रदान करेगा।