ममता कुलकर्णी ने पहली बार महामंडलेश्वर विवाद पर तोड़ी चुप्पी, कहा- ‘ये सब भगवान के हाथ में था’
मुंबई, 31 मई। पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज में महाकुंभ मेले में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की भूमिका से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने कहा कि वह एक साध्वी के रूप में अपना आध्यात्मिक मार्ग जारी रखेंगी। उन्होंने ये फैसला आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास के बीच ममता को महामंडलेश्वर की उपाधि दिए जाने को लेकर हुए विवाद के बाद लिया था। ममता ने अब पहली बार इस पूरे विवाद पर बात की है।
- महामंडलेश्वर विवाद पर बोलीं ममता कुलकर्णी
एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “उस कुंभ में महामंडलेश्वर बनना मेरे लिए भगवान के हाथों में था, जो 140 वर्षों में सबसे पवित्र अवसर था। भगवान ने मुझे मेरी 25 साल की ‘तपस्या’ का फल दिया। तो, ऐसा हुआ।” ममता कुलकर्णी ने आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के लिए अपना सांसारिक जीवन छोड़ दिया। उन्होंने एक नया नाम रखा “श्री यमई ममता नंदगिरी।” वह 24 जनवरी को प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान महामंडलेश्वर बनी थीं।
- ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण को किया गया था निष्कासित
बता दें कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर नियुक्त किये जाने का कई संतों ने विरोध किया था। बाद में, ममता कुलकर्णी और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी दोनों को किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने अखाड़े से निष्कासित कर दिया था। 30 जनवरी 2025 को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, ऋषि अजय दास ने कहा था, “किन्नर अखाड़े के संस्थापक के रूप में, मैं आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के पद से तत्काल प्रभाव से मुक्त कर रहा हूं। उनकी नियुक्ति धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और ट्रांसजेंडर समुदाय के उत्थान के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन उन्होंने इन जिम्मेदारियों से खुद को अलग कर लिया है।”
