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महाराष्ट्र : BMC चुनाव से पहले भाजपा में बड़ा फेरबदल, मुंबई इकाई को मिले 4 नए महासचिव

महाराष्ट्र : BMC चुनाव से पहले भाजपा में बड़ा फेरबदल, मुंबई इकाई को मिले 4 नए महासचिव

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मुंबई, 12 नवम्बर। विगत तीन वर्षों से लंबित बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव के दृष्टिगत भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी मुंबई इकाई में बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया है और चार नए महासचिवों की नियुक्त कर दी है।

पार्टी ने इस क्रम में ने राजेश शिरवाडकर, गणेश खणकर, आचार्य पवन त्रिपाठी और श्वेता पारुलकर को मुंबई भाजपा के महासचिव के रूप में नई जिम्मेदारी सौंपी है। यह कदम पार्टी की रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मुंबई में अपनी पकड़ मजबूत करना और 2025 के नगर निगम चुनावों में जीत हासिल करना है।

भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इन नियुक्तियों को मंजूरी दी है। मुंबई इकाई ने बताया कि ये नए महासचिव पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बीएमसी चुनावों में भाजपा शिवसेना (ईबीएस) के साथ गठबंधन में लड़ेगी।

बीएमसी चुनाव में कांग्रेस के अकेले उतरने का फैसला

इससे पहले कांग्रेस ने बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का एलान किया था, जो उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने एलान किया था कि पार्टी आगामी बीएमसी चुनाव अकेले लड़ेगी।

विजय वडेट्टीवार ने नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा था, ‘हमारे स्थानीय नेताओं ने अकेले चलने के लिए आग्रह किया है। इस स्थिति में हाईकमान से बात की गई। हाईकमान का कहना है कि लोकल लेवल पर स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसला लें। मुंबई के लेवल पर वही निर्णय हुआ है और अकेले चुनाव लड़ा जाएगा।’

कांग्रेस के निर्णय से MVA गठबंधन के भविष्य को लेकर चिताएं बढ़ीं

कांग्रेस के इस निर्णय से महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के भविष्य को लेकर चिताएं बढ़ गई हैं। महा विकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस के साथ शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी-एसपी भी शामिल हैं। इससे पहले कांग्रेस की मुंबई नगर इकाई ने बताया कि चुनाव में उम्मीदवारी के लिए एक हजार से अधिक आवेदन आए हैं।

2017 के बीएमसी चुनाव में शिवसेना ने 84 व भाजपा ने 82 सीटें जीती थीं

217 के बीएमसी चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो विखंडन से पहले की एकीकृत शिवसेना ने 227 में सर्वाधिक 84 सीटें जीती थीं और उससे सिर्फ दो कम यानी 82 सीटें भाजपा के हिस्से आई थीं। वहीं, कांग्रेस को 31 और एनसीपी को नौ सीटें मिली थीं।

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