महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर का संकल्प -‘शिवसेना के 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर निष्पक्ष फैसला लूंगा’
मुंबई, 16 मई। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता पर निष्पक्ष फैसले का संकल्प लिया है। नार्वेकर ने मंगलवार को कहा, ‘मैं सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत करता हूं, जिसमें महाराष्ट्र सरकार के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष को विशेष शक्तियां दी गई हैं। जहां तक निर्णय लेने की बात है, मैं यह निर्णय यथाशीघ्र लूंगा। मैं किसी के दबाव में फैसला नहीं लूंगा।’
उद्धव ठाकरे समूह से कोई आवेदन नहीं मिला
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा उन्हें उद्धव ठाकरे समूह से कोई आवेदन नहीं मिला है। 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेते समय किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मैं विधान भवन के बाहर दिए जा रहे बयानों पर ध्यान नहीं देता।’
‘मेरे पास करीब 5 याचिकाएं आई’
राहुल नार्वेकर ने कहा, ‘मैं उचित समय नहीं बता सकता कि सुनवाई कब तक पूरी होगी, समय भी प्रत्येक मामले की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है। मेरे पास करीब 5 याचिकाएं आई हैं। हम 54 विधायकों को पार्टी बनाकर उनकी बात मनवाएंगे। चुनाव आयोग में शिवसेना पार्टी के गठन की मांग की जाएगी। जुलाई 2022 में कौन सा राजनीतिक दल था, यह देखना होगा कि अधिकृत दल का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा था।’
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के नेतृत्व वाली सरकार के गिरने के कारण शिवसेना-केंद्रित टकराव पर अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था।
मुख्यमंत्री शिंदे सहित शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता की याचिकाओं पर सामान्यत: फैसला नहीं कर सकता और उसने विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर को लंबित मामले पर ‘उचित अवधि’ के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
शिंदे इससे पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। जून, 2022 में शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी, जिससे शिवसेना बंट गई। शिंदे बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। शिंदे और ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दोनों समूहों ने अलग-अलग पार्टी के रूप में चुनाव लड़ा है, लेकिन उन्हें विधानसभा में अलग से मान्यता नहीं मिली है। निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ आवंटित किया था।