1. Home
  2. हिन्दी
  3. मध्य प्रदेश : हाई कोर्ट की बेरुखी के बाद 3 हजार जूनियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा
मध्य प्रदेश : हाई कोर्ट की बेरुखी के बाद 3 हजार जूनियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

मध्य प्रदेश : हाई कोर्ट की बेरुखी के बाद 3 हजार जूनियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

0
Social Share

भोपाल/जबलपुर 4 जून। कोरोना महामारी के बीच भिन्न मांगों को लेकर मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के प्रति राज्य सरकार और उच्च न्यायालय की बेरुखी से क्षुब्ध लगभग तीन हजार जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार की शाम सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया।

मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) से जुड़े एक जूनियर डॉक्टर ने ग्वालियर में बताया, ‘आज मध्य प्रदेश में सभी 3000 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दिया है। ये हमारी मजबूरी है। हम अपने माननीय से अनुरोध करते हैं कि हमारी मांगे मानी जाएं।’

हाई कोर्ट का आदेश – हड़ताल गैरकानूनी, 24 घंटे के अंदर काम पर लौटें

इसके पूर्व जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करते हुए उन्हें 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने के आदेश जारी किया था। हाई कोर्ट ने जूडा की हड़ताल के खिलाफ दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। साथ ही काम पर नहीं लौटने की स्थिति में डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का भी निर्देश दिया।

राज्य सरकार रजिस्ट्रेशन रद करने की दे चुकी है चेतावनी

इसके पूर्व राज्य सरकार ने भी स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि जूनियर डॉक्टर यदि हड़ताल खत्म नहीं करते तो उनका रजिस्ट्रेशन रद कर दिया जाएगा। समझा जाता है कि हाई कोर्ट के निर्णय से क्षुब्ध होकर डॉक्टरों ने यह कठोर कदम उठाया और सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए राजधानी भोपाल, ग्वालियर व जबलपुर सहित राज्य के कई जिलों से इस्तीफों का दौर शुरू हो गया। अपुष्ट सूत्रों पर भरोसा करें तो जूनियर डॉक्टर अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

छह सूत्रीय मांगों को लेकर 31 मई को शुरू हुई थी हड़ताल

गौरतलब है कि जूडा से जुड़े डॉक्टर अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर गत 31 मई से हड़ताल पर थे। इनमें मानदेय बढ़ाने सहित पांच अन्य मांगे शामिल हैं। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार ने उनसे वादा किया था कि छह फीसदी के हिसाब से हर साल मानदेय उनका बढ़ाया जाएगा, लेकिन तीन वर्षों से मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसलिए उनकी राज्य सरकार से मांग है कि उनके मानदेय में 18% की बढ़ोतरी की जाए। वहीं राज्य सरकार का कहना था कि वह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के अनुसार बढ़ोतरी कर रही है। दोनों ही बातों में ज्यादा फर्क नहीं है, फिर भी गतिरोध बना हुआ है।

tags:
Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code