एलजेपी विवाद : पशुपति पारस चुने गए अध्यक्ष, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लगी मुहर
पटना, 17 जून। पारिवारिक कलह के बीच बिहार की राजनीति में अचानक हाशिए पर नजर आ रही लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में नित नए घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। इस कड़ी में गुरुवार को यहां पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें चिराग पासवान का साथ छोड़ने वाले पांच सांसदों की अगुआई कर रहे पशुपति पारस पासवान को पार्टी का नया अध्यक्ष चुन लिया गया।
पटना स्थित लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजभान सिंह के आवास पर हुई। सूरजभान को ही पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। पार्टी के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई और चिराग के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में पशुपति पारस गुट के चार सांसद महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज (चिराग के चचेरे भाई) भी शामिल रहे।
पशुपति पारस बुधवार को ही पटना पहुंच गए थे और आज दिन में उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था। जब किसी अन्य नेता ने विरोध नहीं किया, तो उन्हें पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। इससे पहले गत सोमवार को उन्हें संसदीय दल का नेता भी चुना गया था। उसी दिन इन पांचों सांसदों ने चिराग से अलग होने का फैसला किया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पशपुति पारस को संसदीय दल का नेता चुने जाने को मंजूरी भी दे दी है।
- चिराग भी खुद के अध्यक्ष होने का कर रहे दावा
दूसरी तरफ चिराग पासवान ने भी खुद के एलजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा करते हुए अपने विश्वसनीय राजू तिवारी को पार्टी की बिहार प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष घोषित कर दिया है। दरअसल, पशुपति पारस गुट और चिराग पासवान दोनों ने पार्टी के ऊपर अपनी दावेदारी कर दी है और ऐसे में यह झगड़ा चुनाव आयोग या कोर्ट में जाना तय माना जा रहा है।
चिराग ने बुधवार को मीडिया कॉन्फ्रेंस में यह भी साफ किया था कि पार्टी का अध्यक्ष ही संसदीय दल का नेता चुन सकता है। ऐसे में सभी फैसले गलत हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर अपने (चिराग) के पक्ष में नया सर्कुलर जारी करने की अपील की है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले वह लड़ाई को घर में सुलझाना चाहते थे, लेकिन अब कानूनी जंग लड़ने के लिए भी तैयार हैं।