जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-इस्लाम की कश्मीरी पंडितों को धमकी – ‘कश्मीर छोड़ दो या मरने के लिए तैयार रहो’
जम्मू, 17 मई। जम्मू-कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों में एक बार फिर भय का माहौल उत्पन्न हो रहा है। इस क्रम में पुलवामा के हवल ट्रांजिट आवास में रह रहे कश्मीरी पंडितों को ‘लश्कर-ए-इस्लाम’ नाम के आतंकी संगठन ने घाटी छोड़ने की धमकी दी है।
‘लश्कर-ए-इस्लाम’ की ओर से जारी किए गए एक पोस्टर में कहा गया है कि कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें। इस ट्रांजिट आवास में रहने वाले ज्यादातर कश्मीरी पंडित सरकारी नौकरी करते हैं।
कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी अब कश्मीर में रुकने को तैयार नहीं
बताया जा रहा है कि बढ़ रहीं दुश्वारियों के बीच लगभग पांच हजार कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी अब किसी भी कीमत पर कश्मीर में रुकने को तैयार नहीं हैं, जिन्हें कुछ साल पहले पीएम पैकेज के तहत सरकारी नौकरियां दी गई थीं। ये नौकरियां इस शर्त पर दी गईं थीं कि वे कश्मीर में जाकर काम करेंगे और वहीं पर सुरक्षित समझे जाने वाले इलाकों में उनके रहने की व्यवस्था की जाएगी।
पिछले वर्ष सात अक्तूबर को जब आतंकियों ने एक स्कूल में घुस कर अल्पसंख्यक समुदाय के प्रिंसिपल तथा टीचर को छात्रों के सामने गोली मारकर मार दी थी, तब भी इसी प्रकार की धमकी एक अन्य आतंकी गुट द्वारा दी गई थी। तब भी अल्पसंख्यक समुदाय के साथ ही प्रवासी नागरिकों ने कश्मीर का त्याग इसलिए कर दिया था कि उन सभी को जान प्यारी थी।
‘अपनी सुरक्षा दोहरी या तिहरी कर लो, टारगेट किलिंग के लिए तैयार रहो‘
अब भी वैसा ही माहौल है क्योंकि धमकी भरे पोस्टर में लिखा गया है – ‘सभी प्रवासी और आरएसएस एजेंट कश्मीर को छोड़ दो या मौत का सामना करने के लिए तैयार रहो। ऐसे कश्मीर पंडितों के लिए यहां कोई जगह नहीं है, जो कश्मीर को एक और इजरायल बनाना चाहते हैं और कश्मीरी मुस्लिमों को मारना चाहते हैं। अपनी सुरक्षा दोहरी या तिहरी कर लो, टारगेट किलिंग के लिए तैयार रहो। तुम मरोगे।’ यह पोस्टर हवल ट्रांजिट आवास के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए लिखा गया था।
पीएम पैकेज वाले कर्मचारी सामूहिक इस्तीफे की धमकी दे रहे
चिंताजनक यह है कि पिछले हफ्ते बडगाम में आतंकियों ने राजस्व विभाग के एक अधिकारी राहुल भट की हत्या कर दी तो पीएम पैकेज वाले कर्मचारी सामूहिक इस्तीफे की धमकी दे रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कई कश्मीरी पंडित जम्मू स्थित अपने घरों में आ चुके हैं। दरअसल उन्होंने ऐसा इसलिए किया है कि वे भी जान चुके हैं कि त्रिस्तरीय व बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था को भेदना आतंकियों के बाएं हाथ का खेल हो चुका है और उन्हें अपनी जान प्यारी है।
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा की घोषणा का कोई असर नहीं
हालांकि उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने राहुल की पत्नी को जम्मू में सरकारी नौकरी, परिवार को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने की भी घोषणा की है। लेकिन इस घटना से नाराज विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने देश में कई जगह प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
सरकार की ओर से हालांकि दावा है कि वह कश्मीर में एक बार फिर विस्थापित कश्मीरों पंडितों को बसाने की कोशिश कर रही है। लेकिन आतंकियों की ओर से कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग पर घाटी में दहशत और गुस्सा बढ़ रहा है।