आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 18 नवम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 60 से अधिक आवारा कुत्तों के संरक्षण की मांग करने वाली एक महिला की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसे उसने पालने का दावा किया था। न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से एक अलग पीठ के समक्ष लंबित इसी तरह के मामले में अभियोग चलाने की मांग करने वाली याचिका दायर करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें सड़कों पर ले जाएंगे, लड़ेंगे और लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे…’ पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘जैसा कि बताया गया है कि इसी तरह के मुद्दे पर, एक अन्य पीठ मामले पर विचार कर रही है, वर्तमान रिट याचिका पर विचार नहीं किया जाता है।’
शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश की समरीन बानो की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य में आवारा कुत्तों की रक्षा नहीं की जा रही है। उसने आरोप लगाया कि अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और 67 आवारा कुत्तों के लिए सुरक्षा की मांग की, जिन्हें उन्होंने पालने का दावा किया था।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित ट्रांसफर याचिकाओं का जल्द निपटारा किया जाएगा। यह फैसला सभी जजों की सहमति से लिया गया हैा उन्होंने कहा कि 13 बेंच वैवाहिक विवादों से संबंधित 10 ट्रांसफर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।