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अल्पसंख्यकों के लिए फंड पर कर्नाटक भाजपा ने साधा निशाना, बोली – ‘सिद्धारमैया सरकार ने पेश किया हलाल बजट’

अल्पसंख्यकों के लिए फंड पर कर्नाटक भाजपा ने साधा निशाना, बोली – ‘सिद्धारमैया सरकार ने पेश किया हलाल बजट’

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बेंगलुरु, 7 मार्च। कर्नाटक में सिद्धारमैया की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार की ओर से पेश 2025 के बजट में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए आवंटित फंड ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है और भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई ने इसकी कड़ी आलोचना की है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा प्रस्तुत बजट में अल्पसंख्यक विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये, वक्फ संपत्ति संरक्षण के लिए 150 करोड़ रुपये, उर्दू स्कूलों के लिए 100 करोड़ रुपये और इमामों के लिए 6,000 रुपये मासिक मानदेय निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त, श्रेणी-II बी के तहत मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत सार्वजनिक निर्माण अनुबंध आरक्षित किए गए हैं।

कर्नाटक भाजपा ने एक्स पर एक पोस्ट में बजट की निंदा करते हुए इसे ‘हलाल बजट’ बताया और कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। पोस्ट में कई प्रावधान सूचीबद्ध किए गए हैं, जो भाजपा के अनुसार, केवल मुसलमानों के लिए हैं। इनमें मुस्लिम साधारण विवाहों के लिए 50,000 रुपये की सहायता, वक्फ संपत्तियों और कब्रिस्तानों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 150 करोड़ रुपये, मुस्लिम सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए 50 लाख रुपये और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में एक नए आईटीआई कॉलेज की स्थापना शामिल है।

भाजपा ने केईए के तहत मुस्लिम छात्रों के लिए 50 प्रतिशत शुल्क रियायत, उल्लाल शहर में मुस्लिम लड़कियों के लिए एक आवासीय पीयू कॉलेज, बेंगलुरु के हज भवन का विस्तार और मुस्लिम छात्राओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण पर भी प्रकाश डाला। पोस्ट में कहा गया, ‘एससी, एसटी और ओबीसी का क्या? बिल्कुल कुछ नहीं!’

भाजपा के आरोपों को कांग्रेस ने खारिज किया

वहीं कर्नाटक के मंत्री जमीर अहमद खान ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए आवंटन का बचाव किया। उन्होंने कहा, ‘4.9 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया है। यह अल्पसंख्यकों का बजट कैसे है? मुसलमानों को 4,700 करोड़ रुपये दिए गए हैं। मुसलमान आबादी का 14 प्रतिशत हैं। लेकिन 4,700 करोड़ रुपये दिए गए हैं। 14 प्रतिशत आबादी के हिसाब से मुसलमानों को 60,000 करोड़ रुपये दिए जाने चाहिए थे। लेकिन सिर्फ़ 4,700 करोड़ रुपये दिए गए हैं। भाजपा को कुछ समझदारी दिखानी चाहिए। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिए बहुत कुछ दिया गया है।’

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