वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल की दलील, बोले – यह कानून धार्मिक मामलों में दखल
नई दिल्ली, 16 अप्रैल। वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर सुनवाई शुरू हुई। प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले में दायर 70 याचिकाओं पर सुनवाई की। हालांकि इस दौरान वक्फ से संबंधित सभी मामले नहीं सुने गए। याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ताओं के वकील मौजूद रहे।
सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का हवाला दिया
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम विरासत की दलील देते हुए कहा कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता है। साथ ही यह बुनियादी जरूरतों का अतिक्रमण करता है। सिब्बल ने इस मामले में अनुच्छेद 26 का हवाला दिया। इसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि आपके तर्क क्या हैं?
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल से कहा कि समय कम है। इसलिए आप याचिका की मुख्य मुख्य और बड़ी बातें बताएं। सिब्बल ने कहा, ‘सेंट्रल वक्फ काउंसिल 1995 के अनुसार, सभी सदस्य मुस्लिम थे। मेरे पास एक चार्ट है। चार्ट में दिख रहा है कि हिन्दू या सिख धर्मार्थ संस्थानों में, सदस्य हिन्दू या सिख ही होते हैं। ये नियम का सीधा उल्लंघन है। उनके अनुसार, ये 20 करोड़ लोगों के अधिकारों का संसदीय अतिक्रमण है।
सीजेआई संजीव खन्ना ने दूसरा प्रावधान देखने को कहा। उन्होंने कहा कि क्या इसका मतलब है कि पूर्व-अधिकारी को छोड़कर सिर्फ दो सदस्य ही मुस्लिम होंगे? सिब्बल ने नियम S.9 की तरफ ध्यान दिलाया, उन्होंने कहा कि कुल 22 सदस्य होंगे, जिनमें से 10 मुस्लिम होंगे।
प्रॉपर्टी को धर्म के साथ नहीं मिलाना चाहिए – जस्टिस विश्वनाथन
वहीं जस्टिस विश्वनाथन का कहना है कि प्रॉपर्टी को धर्म के साथ नहीं मिलाना चाहिए। प्रॉपर्टी का मामला अलग हो सकता है। सिर्फ प्रॉपर्टी का मैनेजमेंट धार्मिक मामलों में आ सकता है। बार-बार ये कहना ठीक नहीं है कि ये ज़रूरी धार्मिक काम है।
इस नियम से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों को फायदा होगा
सिब्बल ने कहा कि पहले कोई रोक-टोक नहीं थी। बहुत सी वक्फ संपत्तियों पर लोगों ने कब्जा कर लिया था। CJI ने कहा कि लिमिटेशन एक्ट के अपने फायदे हैं। सिब्बल ने एक अलग बात कही। उन्होंने कहा, ‘कानून कहता है कि मुझे 2 साल के अंदर दावा करना होगा। कई संपत्तियां तो रजिस्टर्ड भी नहीं हैं तो मैं कैसे दावा करूं?’
CJI खन्ना ने कहा, ‘आप यह नहीं कह सकते कि अगर आप लिमिटेशन पीरियड लगाते हैं तो यह असंवैधानिक होगा।’ इसका मतलब है, समय सीमा लगाना गलत नहीं है। सिब्बल का कहना था कि इस नियम से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों को फायदा होगा। वे अब प्रतिकूल कब्जे का दावा कर सकते हैं। यानी, वे कह सकते हैं कि वे लंबे समय से उस संपत्ति पर कब्जा किए हुए हैं, इसलिए अब वह उनकी हो जानी चाहिए।
