मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस स्वामीनाथन ने खुद के खिलाफ किये ट्वीट पर आपराधिक अवमानना का केस दर्ज करने का दिया आदेश
चेन्नई, 20 जुलाई। मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने खुद के खिलाफ किये गए एक ट्वीट के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए मदुरै बेंच के रजिस्ट्रार को यूट्यूबर सवुक्कू शंकर के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
जस्टिस स्वामीनाथन के आदेश पर कोर्ट ने फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया को मामले में पक्षकार बनाने की भी नोटिस भेजी है। इसके अलावा कोर्ट ने आरोपित सवुक्कू शंकर के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव को भी पक्षकार बनाया है।
यूट्यूबर सवुक्कू शंकर ने जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ किया था आपत्तिजनक ट्वीट
समाचार वेबसाइट ‘लाइव लॉ’ के अनुसार सवुक्कू शंकर के किये ट्वीट में कहा गया था कि जस्टिस स्वामीनाथन ने एक अन्य यूट्यूबर मारिदास के खिलाफ काररवाई के मामले में फैसले से पहले किसी से मुलाकात की थी और इस कथित मुलाकात के बाद जस्टिस स्वामीनाथन ने मारिदास के पक्ष में फैसला दिया।
शंकर ने ट्वीट में जस्टिस स्वामीनाथन पर आरोप लगाया कि वह मुलाकात करने वाले व्यक्ति से कथित तौर पर प्रभावित थे। इस कारण उन्होंने मारिदास के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद करने का फैसला दिया। बताया जा रहा है कि यूट्यूबर मारिदास के खिलाफ आरोप था कि उसने तमिलनाडु की मौजूद डीएमके सरकार के खिलाफ ट्विटर पर आपत्तिजनक कमेंट किया था।
‘संविधान प्रदत्त मिली स्वतंत्रता की ‘लक्ष्मण रेखा‘ पार कर दी, अब बख्शा नहीं जा सकता’
यूट्यूबर शंकर के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस दर्ज करते हुए जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा, “वह आदतन पिछले कई बार से मेरे फैसले के खिलाफ ‘अमानवीय भाषा’ में टिप्पणी करके व्यक्तिगत हमला कर चुके हैं। हालांकि मैं भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखने में यकीन करता हूं, लेकिन शंकर ने संविधान प्रदत्त मिली इस स्वतंत्रता की ‘लक्ष्मण रेखा’ पार कर दी है, लिहाजा उन्हें अब इसके लिए नहीं बख्शा जा सकता है।”
उन्होंने कहा, “शंकर ने मेरे दिये फैसलों की निंदा के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया है। मैं मानता हूं कि वह मेरे फैसले की निंदा कर सकते हैं, लेकिन उन्हेंने ट्वीट करके मेरी ईमानदारी को चोट पहुंचाई है। लिहाजा इस मामले में उनका व्यवहार किसी अपराधी की तरह है।”