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हिजाब बैन में फैसला सुनाने वाले जस्टिस हेमंत ने विदाई समारोह में कहा – जज का काम लोगों को खुश करना नहीं

हिजाब बैन में फैसला सुनाने वाले जस्टिस हेमंत ने विदाई समारोह में कहा – जज का काम लोगों को खुश करना नहीं

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नई दिल्ली, 15 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्त ने हिजाब मामले में फैसला सुनाने के अगले ही दिन अवकाश ग्रहण कर लिया और अपने विदाई समारोह में उन्होंने कहा कि जज का काम लोगों को खुश करने का नहीं, बल्कि कानून के आधार पर मामलों का फैसला करने होता है।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में शीर्ष न्यायालय के दो जजों की बेंच की राय अलग-अलग थी। जस्टिस हेमंत गुप्त ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। वहीं पीठ के दूसरे सदस्य जस्टिस सुधांशु धूलिया ने अपीलों को स्वीकार किया था। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था। बहरहाल, इस मामले पर अभी शीर्ष न्यायालय का अंतिम फैसला आना बाकी है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की ओर से आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस हेमंत ने कहा, ‘एक जज लोगों को खुश नहीं कर सकता… यह काम उसका नहीं है। वह भूमिका सार्वजनिक जीवन में दूसरों को दी गई है। कोई व्यक्ति लोगों को खुश करने के इरादे से अपना काम नहीं कर सकता। मैं अदालत में कठोर था, मुखर था।’

‘मैंने लगभग 20 वर्षों की अपनी पारी का भरपूर आनंद लिया

जस्टिस हेमंत ने अदालत में मौजूद अधिवक्ताओं से कहा कि शीर्ष अदालत में रहना ‘व्यक्तिगत रूप से समृद्ध अनुभव’ था और उन्हें हमेशा सभी वकीलों से सहायता मिली। उन्हें दो नवंबर, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत रूप से बोल रहा हूं, मैंने लगभग 20 वर्षों की अपनी पारी का भरपूर आनंद लिया। प्रत्येक दिन मेरे लिए सीखने वाला था और आप सभी ने सीखने की प्रक्रिया में मेरी मदद की है। बहुत-बहुत धन्यवाद।’

अब शीर्ष अदालत में सेवारत न्यायाधीशों की संख्या घटकर 28 हुई

न्यायमूर्ति गुप्त के सेवानिवृत्त होने से शीर्ष अदालत में सेवारत न्यायाधीशों की संख्या घटकर 28 हो जाएगी जबकि सीजेआई सहित न्यायाधीशों के 34 पद स्वीकृत हैं। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति गुप्त ने कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में फैसले सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए।

सीजेआई यूयू ललित ने की तारीफ

न्यायपालिका में न्यायमूर्ति गुप्त के योगदान की प्रशंसा करते हुए सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि वह लगभग 12-13 वर्ष पहले उनसे पहली बार मिले थे और तब से उन्हें करीब से जानते हैं। शुरुआत में सीजेआई ने कहा, ‘मुझे यह जरूर कहना चाहिए। आज की इस पीठ में उम्र के मामले में दो वरिष्ठतम न्यायाधीश मौजूद हैं।’ सीजेआई ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। न्यायमूर्ति हेमंत ने कहा, ‘संयोग से शीर्ष अदालत में मेरा पहला दिन सीजेआई के कक्ष में था और मेरा आखिरी दिन भी इसी कक्ष में है।’

मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने न्यायमूर्ति गुप्त के अंतिम कार्यदिवस पर उन्हें शुभकामनाएं दीं। रोहतगी ने कहा, ‘बार की ओर से हम आपकी दूसरी पारी के सुखद और सफल रहने की कामना करते हैं।’

पटना और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं जस्टिस हेमंत

17 अक्टूबर, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति गुप्त ने जुलाई, 1980 में एक वकील के रूप में नामांकन किया। उन्होंने 1997 से 1999 तक पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी काम किया। उन्हें दो जुलाई 2002 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

उन्होंने आठ फरवरी, 2016 को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला और 29 अक्टूबर, 2016 को उसी उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किये गए। न्यायमूर्ति गुप्त को 18 मार्च, 2017 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

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