तेल अवीव, 3 जून। इसाक हरजोग इजरायल के नए राष्ट्रपति होंगे। राष्ट्रपति पद के लिए हुई वोटिंग में इसाक ने 120 में से 87 वोट हासिए किए। इसके साथ ही इजरायली संसद ने देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में इसाक के नाम पर अपनी मुहर लगा दी। इसाक अगले माह नौ जुलाई मौजूदा राष्ट्रपति रेवेन रिवलिन से कार्यभार संभालेंगे, जिनका कार्यकाल उसी दिन खत्म हो रहा है।
प्रधानमंत्री पद को लेकर अब भी असमंजस
हालांकि इजरायल के अगले प्रधानमंत्री को लेकर अब भी मामला फंसा हुआ है। लेकिन इसाक के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। वजह साफ है कि इसाक को नेतन्याहू का धुर विरोधी माना जाता है। लिकुड पार्टी के अध्यक्ष 71 वर्षीय नेतन्याहू वर्ष 2009 से ही देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज हैं।
दो वर्षों में चार बार हुआ चुनाव, किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं
गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों के दौरान देश में प्रधानमंत्री पद के लिए चार बार चुनाव हो चुके हैं, लेकिन एक बार भी किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ। 120 सीटों वाली संसद में बहुमत के लिए 61 सीटों की जरूरत होती है। हालांकि, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पार्टी अब भी सबसे ज्यादा सीटों वाली पार्टी है। हालांकि यह संभावना बहुत ज्यादा है कि नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी नफ्ताली बेनेट अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने सभी विपक्षी पार्टियों से सरकार बनाने के लिए समझौता कर लिया है।
इसाक के पिता चैम भी थे इसरायल राष्ट्रपति
पेशे से अधिवक्ता और इसरायली लेबर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष 60 वर्षीय इसाक की बात करें तो वह इजरायल के पहले ऐसे राष्ट्रपति चुने गए हैं, जिनके पिता चैम हरजोग भी 1983 से लेकर 1993 तक राष्ट्रपति थे। उनका 79 वर्ष की वय में 1997 में निधन हुआ था।
ज्ञातव्य है कि भारत की तरह इजरायल में भी राष्ट्रपति देश के मुखिया तो होते हैं, लेकिन विधायिका के पास शासन की शक्तियां होती हैं। भारत की ही भांति इजरायल में भी प्रधानमंत्री के पास देश चलाने का अधिकार होता है और राष्ट्रपति संसद के प्रधान होते हैं। हालांकि इजरायल में चुनाव भारत से अलग होता है।
इजरायल में यहूदियों की एजेंसी के चेयरमैन इसाक ने इजरायली संसद में मुख्य विपक्षी नेता की भूमिका भी निभाई है। 2013 में वह प्रधानमंत्री पद के लिए भी बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ खड़े हुए थे, लेकिन जीत हासिल करने में नाकाम रहे थे। वहीं मौजूदा वक्त, जब इजरायल की राजनीतिक परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं और फलस्तीन के साथ तनाव तेज है, इसाक के कंधों पर जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी।