भारत के पहले व्यक्तिगत ओलम्पिक चैम्पियन अभिनव बिंद्रा प्रतिष्ठित ओलम्पिक ऑर्डर से सम्मानित
पेरिस, 10 अगस्त। अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक परिषद (IOC) ने शनिवार को यहां 142वें IOC सत्र के दौरान गुजरे जमाने के दिग्गज भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को ओलम्पिक ऑर्डर से सम्मानित किया। वर्ष 1975 में स्थापित ओलम्पिक ऑर्डर IOC द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। किसी भी खेल शख्सियत को ओलम्पिक मूवमेंट में अहम योगदान के लिए इस अवार्ड से सम्मानित किया जाता है।
Congratulations to Shri @Abhinav_Bindra Olympic Gold Medalist, on being awarded the Olympic Order by the IOC Executive Board for your outstanding services to the Olympic
Your unwavering dedication and remarkable achievements continue to be a source of inspiration for generations pic.twitter.com/mfEWkSXtox
— Adhyayan V. Sharma (@AdhyayanVSharma) August 10, 2024
बिंद्रा ने बीजिंग 2008 में जीता था देश का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण
उल्लेखनीय है कि 41 वर्षीय बिंद्रा ने बीजिंग 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा जीतकर भारत के पहले व्यक्तिगत ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता बने थे। वह 2010 से 2020 तक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आईएसएसएफ) की एथलीट समिति के सदस्य थे। 2014 से इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। मौजूदा समय वह 2018 से आईओसी एथलीट आयोग के सदस्य हैं।
‘ये ओलम्पिक रिंग ही थीं, जिन्होंने मेरे जीवन को अर्थ दिया‘
पांच बार के ओलम्पियन 41 वर्षीय बिंद्रा ने कहा, ‘जब मैं छोटा बच्चा था, तो ये ओलम्पिक रिंग ही थीं, जिन्होंने मेरे जीवन को अर्थ दिया और दो दशकों से अधिक समय तक अपने ओलम्पिक सपने को पूरा करने में सक्षम होना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी।’
India's first individual Olympic gold medalist, IOC Athletes' Commission Vice-Chair @Abhinav_Bindra has been bestowed with the prestigious Olympic Order, in recognition of his outstanding contribution to the Olympic Movement. pic.twitter.com/j0hbtCqAPy
— IOC MEDIA (@iocmedia) August 10, 2024
‘मैं जीवनभर ओलम्पिक मूवमेंट में योगदान देता रहूंगा‘
अभिनव ने कहा, ‘अपने एथलेटिक करिअर के बाद ओलम्पिक मूवमेंट में कोशिश करना और वापस अपना योगदान देना मेरा एक बड़ा जुनून रहा है। यह एक विशेषाधिकार और सम्मान रहा है। यह पुरस्कार उस जुनून को और अधिक बढ़ावा देता है। मुझे उम्मीद है कि मैं और भी अधिक मेहनत करना जारी रखूंगा और जीवनभर ओलम्पिक मूवमेंट में योगदान देता रहूंगा।”