
भारत की पाकिस्तान को दो टूक – ‘कश्मीर पर बड़बड़ाने से सीमा पार आतंकवाद को उचित नहीं ठहरा सकते’
न्यूयॉर्क, 15 मार्च। संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने पाकिस्तान की ‘कट्टर मानसिकता’ की निंदा करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर को लेकर राग अलापने से सीमा पार आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या इस क्षेत्र के भारत का अभिन्न अंग होने की वास्तविकता को नहीं बदला जा सकता।
पी. हरीश शुक्रवार को पाकिस्तान की पूर्व विदेश सचिव तहमीना जंजुआ द्वारा इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए महासभा की एक अनौपचारिक बैठक के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। 2017 से 2019 तक पाकिस्तान की विदेश सचिव रहीं तहमीना जंजुआ ने बैठक में बतौर आमंत्रित सदस्य अपनी बात रखी।
पाकिस्तान की कट्टर मानसिकता और कट्टरता का रिकॉर्ड जगजाहिर
उन्होंने कहा, “जैसा कि उनकी आदत है, पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव ने आज भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का अनुचित संदर्भ दिया है। बार-बार संदर्भ देने से न तो उनका दावा मान्य होगा और न ही सीमा पार आतंकवाद को लेकर उनकी प्रैक्टिस को उचित ठहराया जा सकेगा। इस देश की कट्टर मानसिकता और कट्टरता का रिकॉर्ड जगजाहिर है।”
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा
पी. हरीश ने आगे कहा कि ऐसे प्रयास, इस वास्तविकता को नहीं बदलेंगे कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। जब कश्मीर की बात आती है तो पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में एक आवाज बनकर रह जाता है। जब भी उसके प्रतिनिधियों को बोलने का मौका मिलता है, तो वे कश्मीर का मुद्दा उठाते हैं, लेकिन किसी अन्य देश ने इस मुद्दे को नहीं उठाया।
कश्मीर को गाजा से जोड़ने की कोशिश पाकिस्तान की एक चाल
पी. हरीश ने कहा, पाकिस्तान ने कश्मीर को गाजा से जोड़ने की कोशिश की, जो उसकी एक चाल है। उन्होंने जोर देकर कहा, ”इस्लामोफोबिया कब्जे वाले क्षेत्रों, जैसे कि भारतीय कब्जे वाले कश्मीर और फिलिस्तीन में मुसलमानों की भयानक हत्याओं का एक महत्वपूर्ण कारण है।” इस दौरान उन्होंने परोक्ष रूप से ‘लव जिहाद’ और ‘गोरक्षकों’ से जुड़ी ‘लिंचिंग’ का भी उल्लेख किया।