डॉ. अनिल मेनन बन सकते हैं चांद पर जाने वाले पहले भारतवंशी, नासा के भावी अभियानों के लिए चयनित
वाशिंगटन, 8 दिसंबर। भारतीय मूल के भौतिकीविद् अनिल मेनन को नौ अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ नासा के भावी अभियानों के लिए चुना गया है। यह घोषणा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) की ओर से की गई है। 45 वर्षीय मेनन अमेरिकी वायुसेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। वह नासा के फ्लाइट सर्जन के तौर पर काम कर चुके हैं और सोयूज मिशन में भी शामिल रहे हैं।
12 हजार से अधिक आवेदनों में से 10 नए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों का चयन
नासा ने एक बयान में घोषणा की है कि अंतरिक्ष में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने और मानवता के लाभ के लिए काम करने के लिए 12 हजार से अधिक आवेदनों में से दस नए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों का चयन किया है।
भारतीय मूल की कल्पना, सुनीता और बांडला भी कर चुकी हैं अंतरिक्ष की सैर
इससे पहले जुलाई में कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद, भारतीय मूल की ऐरोनॉटिकल इंजीनियर श्रीशा बांडला का चयन तीसरी महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में किया गया था।
विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाले अब तक इकलौते भारतीय नागरिक
वैसे अब तक विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एकमात्र भारतीय नागरिक हैं। भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा ने तीन अप्रैल,1984 को सोयूज टी-11 से सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम के अंतर्गत उड़ान भरी थी।
फिलहाल चांद पर अब तक भारत से या भारतीय मूल का कोई व्यक्ति नहीं गया है। यदि सब कुछ सही रहा तो डॉ. अनिल मेनन नासा के अर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) के तहत चांद पर जाने वाले पहले भारतवंशी होंगे।
एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए चयनित वैज्ञानिकों में 6 महिलाएं और 4 पुरुष
नासा ने जिन 10 लोगों को एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए चुना है, उनमें से छह महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं। ये सभी 10 एस्ट्रोनॉट अगले वर्ष जनवरी में टेक्सास स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर में अपनी ट्रेनिंग शुरु करेंगे। यह ट्रेनिंग दो वर्षों तक चलेगी। इसके बाद इन्हें अर्टेमिस जेनरेशन प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा। नासा का मिशन है कि वो स्पेसएक्स के साथ मिलकर वर्ष 2024 के अंत या 2025 में एक महिला और एक पुरुष को चांद पर भेजेगा।
डॉ. अनिल मेनन का संक्षिप्त परिचय
अनिल मेनन के माता-पिता भारतीय और यूक्रेन के थे। अनिल मिनिसोटा में पले-बढ़े हैं। वर्ष 1999 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबॉयोलॉजी में ग्रेजुएशन के बाद वहीं पर उन्होंने हचिंसन डिजीस की स्टडी की। इसके बाद 2004 में स्टेनफोर्ड मेडिकल स्कूल से मेडिकल की पढ़ाई की। फिर स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। वह नासा के कई मिशनों में फ्लाइट सर्जन का काम भी कर चुके हैं। उन्होंने यह काम वर्ष 2014 में शुरु किया था।