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थॉमस कप बैडमिंटन : भारत ने रचा इतिहास, एचएस प्रणॉय ने पहली बार फाइनल में पहुंचाया

थॉमस कप बैडमिंटन : भारत ने रचा इतिहास, एचएस प्रणॉय ने पहली बार फाइनल में पहुंचाया

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बैंकॉक, 13 मई। भारत ने पुरुषों की विश्व टीम बैडमिंटन स्पर्धा की श्रेष्ठता के प्रतीक थॉमस कप में इतिहास रचते हुए डेनमार्क को 3-2 से हराकर पहली बार फाइनल में प्रवेश कर लिया है। भारत की अब 14 बार के विजेता इंडोनेशिया से रविवार को खिताबी टक्कर होगी। गत विजेता इंडोनेशिया ने  दूसरे सेमीफाइनल में जापान को 3-2 से मात दी।

सेमीफाइनल में डेनमार्क को 3-2 से दी शिकस्त, अब इंडोनेशिया से टक्कर

डेनमार्क के खिलाफ शुक्रवार को यहां इम्पैक्ट एरेना -1 में खेले गए सेमीफाइनल में 2-2 की बराबरी के बाद निर्णायक एकल में भारत के एचएस प्रणॉय ने रास्मस डोम्के को एक घंटा 13 मिनट में 13-21, 21-9, 21-12 से हराकर भारतीय प्रशंसकों को सुखद अनुभूति प्रदान की। प्रणॉय ने चोटिल होने के बावजूद यह मुकाबला जीतकर अपने जज्बे का परिचय दिया।

2-1 की बढ़त गंवाने के बाद भारत के संकट मोचक बने प्रणॉय

वस्तुतः भारत ने 2-1 की बढ़त लेने के बाद डेनमार्क को 2-2 से बराबरी करने का मौका दे दिया। पहले एकल में लक्ष्य सेन की विक्टर एक्सेल्सेन के हाथों 13-21, 13-21 से पराजय के बाद चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रैंकी रेड्डी ने किम व मेथियास की जोड़ी को 21-18, 21-23, 22-20 से मात देकर टीम को 1-1 की बराबरी दिला दी।

दूसरे एकल में किदांबी श्रीकांत ने भी शानदार प्रदर्शन किया और आंद्रेस एंटोन्सेन को 21-18, 12-21, 21-15 से जीत दर्ज कर भारत को 2-1 से बढ़त दिलाई थी। लेकिन इसके बाद दूसरे युगल में कृष्ण प्रसाद और विष्णु वर्धन की भारतीय जोड़ी एंडर्स और फ्रेड्रिक के हाथों 14-21, 13-21 से हार गई। फिलहाल निर्णायक व पांचवें रबर में प्रणॉय ने अपना अथाह अनुभव उड़ेलते हुए भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी।

 73 वर्षों में पहली बार फाइनल का टिकट

गौरतलब है कि भारत ने जर्मनी और कनाडा को समान अंतर 5-0 से हराकर ग्रुप चरण की शुरुआत की थी और चीनी ताइपे के हाथों उसे 2-3 से पराजय झेलनी पड़ी थी। क्वार्टर फाइनल में भारत ने मलेशिया को 3-2 से हराकर 43 वर्षों का सूखा खत्म करते हुए 1979 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई। 1979 के पहले भारतीय पुरुष 1952 व 1955 में भी सेमीफाइनल में पहुंचे थेे। अब टीम इंडिया ने प्रतियोगिता के 73 वर्षों के इतिहास में पहली बार फाइनल का सफर भी तय करते हुए कम से कम रजत पदक पक्का कर दिया।

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