हैदरपोरा एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- शव को कब्र से निकालने की नहीं दे सकते इजाजत
नई दिल्ली, 12 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने हैदरपोरा एनकाउंटर में मारे गए आमिर लतीफ माग्रे के शव को निकालने और दफनाने के लिए उसके परिवार को सौंपने की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई की। बेंच ने कहा कि अधिकारियों की ओर से पूरे रीति-रिवाज के साथ शव को दफनाने के बाद खुदाई का कोई अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि साथ ही इस मामले में ‘कानून और व्यवस्था की स्थिति’ के बिगड़ने का संभावित खतरा भी मौजूद है। SC ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा कि परिवार को माग्रे की कब्र पर प्रार्थना करने की इजाजत दी जाए और 5 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जाए।
- पिछले साल नवंबर में हुई थी मुठभेड़
जम्मू-कश्मीर में बडगाम जिले के हैदरपोरा में पिछले साल नवंबर में मुठभेड़ के दौरान चार लोग मारे गए थे। 15 नवंबर, 2021 को ये चारों मार गिराए गए थे। पुलिस ने दावा कि ये सभी आतंकी थे और उनके शवों को कुपवाड़ा में दफना दिया। जबकि चारों के परिवारों ने इस दाव को खारिज कर दिया।
- बड़े पैमाने पर उभरा था आक्रोश
बड़े पैमाने पर उभरे आक्रोश के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन दबाव में झुक गया और चार में से दो (अल्ताफ अहमद भट और मुदासिर गुल) के शवों को निकाला व उनके परिवारों को सौंप दिया। दिसंबर में माग्रे के परिवार ने उसके शव को दफनाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
- मजिस्ट्रेट जांच के दिए गए थे आदेश
मुठभेड़ को लेकर विवाद बढ़ने पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हैदरपोरा मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए थे। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्वीट करके खुद इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा, ‘हैदरपोरा मुठभेड़ में एडीएम रैंक के एक अधिकारी की ओर से मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया गया। जम्मू कश्मीर प्रशासन निर्दोष नागरिकों के जीवन की रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराता है और यह सुनिश्चित करेगा कि कोई अन्याय न हो