
महाकुम्भ 2025 : अचानक महामंडलेश्वर कैसे बन गईं ममता कुलकर्णी?
महाकुम्भ नगर, 24 जनवरी। गुजरे जमाने की मशहूर बॉलीवुड अदाकारा ममता कुलकर्णी का अचानक से गृहस्थ जीवन त्याग संन्यासी बनने का निर्णय लोगों के बीच कौतूहल का विषय बन गया है। अधिसंख्य लोगों का सवाल है कि ममता कुलकर्णी अचानक से महामंडलेश्वर कैसे बन गईं क्योंकि महामंडलेश्वर बनने के लिए एक लम्बी अवधि में तपस्या करके संसारिक जीवन के प्रवृति मार्ग को छोड़ना पड़ता है और तब दीक्षा लेनी पड़ती है।
गौरतलब है कि 52 वर्षीय ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को किन्नर अखाड़े में संन्यास लिया और वहां उनका पट्टाभिषेक संपन्न हुआ। अब वह श्री यामाई ममतानंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी। ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की ये पदवी किन्नर अखाड़े ने दी है। यह अखाड़ा वर्ष 2015 में बना था और ये सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है। इस अखाड़े की ‘आचार्य महामंडलेश्वर’ लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं।
कुछ समय पहले तक विवादों से भरा हुआ था ममता का जीवन
वस्तुतः अखाड़ों का नियम है कि जो व्यक्ति महामंडमलेश्वर बनता है, उसे संन्यासी होना चाहिए। उसमें संसारिक मोह-माया के लिए त्याग की भावना होनी चाहिए। पारिवारिक संबंधों से दूर होना चाहिए और वेद-पुराणों का ज्ञान होना चाहिए। लेकिन यदि आप ममता कुलकर्णी के जीवन को देखेंगे तो आपको ये पता चलेगा कि कुछ समय पहले तक उनका जीवन विवादों से भरा हुआ था।
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ड्रग्स तस्करी केस में पुलिस ने जारी किया था अरेस्ट वॉरंट
आरोप लगता है कि वर्ष 2013 में ममता कुलकर्णी ने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़कर ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी कर ली थी और ये वही ड्रग माफिया है, जिसे दुबई में ड्रग्स तस्करी के लिए 12 वर्षों की जेल हुई थी। हालांकि ममता कुलकर्णी इन आरोपों को गलत बताती हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि वर्ष 2016 में मुंबई पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के एक मामले में उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया था और ये बताया था कि उसने मुंबई से 80 लाख रुपये की ड्रग्स बरामद की थी, जिसका संबंध एक ऐसी कम्पनी से था, जिसकी डायरेक्टर ममता कुलकर्णी थीं।
ममता कुलकर्णी खुद कहती हैं कि वह ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से प्यार करती थीं और इस दौरान वर्ष 2000 से 2024 तक भारत से दूर रहीं। इसके अलावा जब ममता कुलकर्णी ने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ा नहीं था, तब उन पर अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन होने के आरोप लगे थे। कहा जाता है कि एक फिल्म के लिए उन्होंने अंडरवर्ल्ड के अपराधियों से डायरेक्टर को फोन करवाया था।
टॉपलैस फोटोशूट पर हुआ था हंगामा
इतना ही नहीं, वर्ष 1993 में उन्होंने एक मैग्ज़ीन के लिए टॉपलैस फोटोशूट कराया था, जिस पर देशभर में काफी हंगामा हुआ था और यही कारण है कि ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने से लोग हैरान हो रहे हैं। लोगों का सवाल यह भी है कि ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर बनने के लिए किन्नर अखाड़े को क्यों चुना? तो इसका कारण ये है कि किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है।
ये वो अखाड़ा है, जिसमें संन्यासी बनने के बाद भी भौतिक जीवन जिया जा सकता है और इसमें महामंडलेश्वर बनने के लिए संसारिक और पारिवारिक रिश्तों को खत्म करना ज़रूरी नहीं होता। यही कारण है कि ममता कुलकर्णी ने इस अखाड़े को चुना और अब वो भौतिक जीवन जीते हुए भी संन्यासी बनकर रह सकेंगी। इसमें उन्हें वैराग्य वाला जीवन नहीं बिताना होगा।
पट्टाभिषेक में भावुक हुईं ममता कुलकर्णी
फिलहाल पट्टाभिषेक पट्टाभिषेक के दौरान ममता भावुक हो गई थीं। साध्वी बनने और महामंडलेश्वर का पद मिलने के बाद उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह 23 वर्षों से फिल्मी दुनिया से दूर रहकर धार्मिक यात्रा पर थीं और एक दिन उन्हें अध्यात्म की शक्ति की अनुभूति महसूस हुई। उसके बाद उन्होंने सनातन धर्म के मार्ग पर चलने का मन बना लिया।
अब बॉलीवुड में कभी वापसी नहीं होगी बल्कि धर्म के रास्ते पर आगे बढ़ेंगी
श्री यामाई ममतानंद गिरि ने आगे यह भी साफ किया कि उन्हें 23 वर्षों में कोई ऐसी परेशानी नहीं हुई कि, जिससे वो साध्वी बन गईं बल्कि उनकी आस्था उन्हें सनातन की ओर खींच ले आई है। ममता ने यह भी बता दिया कि अब बॉलीवुड में उनकी कभी वापसी नही होंगी बल्कि वो धर्म के रास्ते पर ही आगे बढ़ेंगी।