सिलीगुड़ी में बोले गृह मंत्री अमित शाह – कोविड समाप्त होते ही सीएए को धरातल पर करेंगे लागू
सिलीगुड़ी, 5 मई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता को चुनौती देते हुए नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) पर बड़ा बयान दिया है और कहा है कि इसे जल्द से जल्द लागू किया जाएगा।
পশ্চিমবঙ্গের শিলিগুড়িতে অনুষ্ঠিত ‘পশ্চিমবঙ্গ সম্মান সমাবেশ’-এ বিপুল জনস্রোত। সরাসরি দেখুন! Addressing a huge gathering at the ‘Paschim Bango Samman Samavesh’ in Siliguri, West Bengal. https://t.co/jae8kruHi3
— Amit Shah (@AmitShah) May 5, 2022
अमित शाह ने गुरुवार को यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘कोविड की लहर समाप्त होते ही सीएए को धरातल पर लागू करेंगे और हमारे भाइयों को नागरिकता देने का काम करेंगे। सीएए के बारे में टीएमसी अफवाहें फैला रही है कि इसे जमीन पर लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सीएए को जमीन पर लागू करेंगे, जैसे ही कोविड की लहर समाप्त होगी।’
‘ममता दीदी चाहती हैं कि घुसपैठ चलती रहे और शरणार्थियों को नागरिकता न मिले’
शाह ने बंगाल की सीएम को घेरते हुए कहा, ‘ममता दीदी, आप तो यहीं चाहती हैं कि घुसपैठ चलती रहे और जो शरणार्थी आए हैं, उनको नागरिकता न मिले। मगर, कान खोलकर टीएमसी वाले सुन लें, सीएए वास्तविकता था, वास्तविकता है और वास्तविकता लेने वाला है। इसमें आप कुछ नहीं बदल सकते हो।’
ममता बोलीं – बीएसएफ के राजनीतिक क्षेत्र में घुसपैठ करने आए थे शाह
वहीं अमित शाह के बंगाल दौरे को लेकर सीएम ममता बनर्जी ने कहा, ‘सीएए विधेयक समाप्त हो गया है। वे इस विधेयक को संसद में क्यों नहीं ला रहे हैं? मैं नहीं चाहती कि नागरिकों के अधिकारों पर अंकुश लगे। हम सभी को एक साथ रहना है, एकता हमारी ताकत है। आज, वह (अमित शाह) यहां बीएसएफ के राजनीतिक क्षेत्र में घुसपैठ करने आए थे।’
भारत-बांग्लादेश सीमा के हरिदासपुर BOP पर ‘सीमा प्रहरी सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए। @BSF_India https://t.co/aGm0oC66Ta
— Amit Shah (@AmitShah) May 5, 2022
गौरतलब है कि नागरिकता (संसोधित) अधिनियम को वर्ष 2019 में मोदी सरकार के कार्यकाल में पास किया गया था, जो नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव के लिए लाया गया था। सीएए के प्रावधानों के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों एवं ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा, इस कानून के माध्यम से उन्हें भारत की नागरिकता मिलेगी।