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हिमाचल प्रदेश : शिमला में मस्जिद विवाद को हिन्दू संगठनों का विरोध प्रदर्शन, झड़प के बाद पुलिस ने किया लाठीचार्ज

हिमाचल प्रदेश : शिमला में मस्जिद विवाद को हिन्दू संगठनों का विरोध प्रदर्शन, झड़प के बाद पुलिस ने किया लाठीचार्ज

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शिमला, 11 सितम्बर। शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद परिसर में अवैध निर्माण को लेकर हिन्दू संगठनों और स्थानीय लोगों ने आज जमकर विरोध प्रदर्शन किया। लगभग साढ़े पांच घंटे तक चले प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिसकर्मियों से झड़प भी हुई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को वाटर कैनन चलाने के अलवावा लाठीचार्ज करना पड़ा।

हिमाचल ने ठाना है, देवभूमि को बचाना है

दरअसल, सैकड़ों प्रदर्शनकारी ‘हिमाचल ने ठाना है, देवभूमि को बचाना है’ और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगाते हुए मस्जिद की ओर बढ़ रहे थे। इस दौरान पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसे लोगों ने तोड़ दिया और आगे बढ़ने लगे। अंततः पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बोछार की और बल प्रयोग भी किया। यह मार्च शिमला के संजौली इलाके में स्थित एक मस्जिद में अतिरिक्त मंजिलों के कथित अवैध निर्माण के विरोध में बुलाया गया था।

सीएम सुक्खू बोले – लोगों को विरोध करने का अधिकार, लेकिन शांतिपूर्वक

इस बीच हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें शांतिपूर्वक और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना अपना विरोध जाहिर करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संजौली मस्जिद में कथित अवैध निर्माण के मुद्दे की सुनवाई स्थानीय नगरपालिका अदालत कर रही है और कानून अपना काम करेगा।

संजौली मस्जिद को लेकर ये है पूरा विवाद

उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद का विस्तार करने के ​उद्देश्य से इसके परिसर में 2007 के बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ था। लेकिन वर्ष 2010 में मस्जिद को अवैध करार देते हुए इसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हालांकि, पिछले 14 वर्षों में मस्जिद पर चार नई मंजिलें जोड़ी गईं। नगर निगम द्वारा इस मामले की 44 बार सुनवाई की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

नगर निगम ने 44 बार सुनवाई की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला

पिछले महीने कुछ लोगों के एक समूह ने दावा किया कि उनकी जमीन पर मस्जिद का विस्तार किया जा रहा है और इसे लेकर दो समुदायों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई। इस विवाद के बाद यह पांच मंजिला मस्जिद स्थानीय और राजनीतिक चर्चा के केंद्र में आई। इसी क्रम में गत 30 अगस्त को अल्पसंख्यक समुदाय के आधा दर्जन लोगों ने कथित तौर पर मल्याणा इलाके में व्यापारी यशपाल सिंह और कुछ अन्य पर रॉड और लाठियों से हमला किया, जिसमें चार घायल हो गए थे।

हिन्दू संगठनों ने पिछले हफ्ते भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पास स्थित चौरा मैदान में मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। लोग संजौली के बाहर के इलाके मल्याणा में इकट्ठा हुए. उनका दावा था कि मस्जिद की चार मंजिलें अवैध हैं। 10 साल हो गए, लेकिन कोई काररवाई नहीं हुई। उन्होंने अवैध मस्जिद को तुरंत ढहाने की मांग की थी।

मस्जिद की वैधता को लेकर कांग्रेस सरकार में ही आरोप-प्रत्यारोप

हिमाचल सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी आरोप लगाया कि संजौली में मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से किया गया है। उन्होंने इसके निर्माण की जांच की मांग की। हालांकि, अनिरुद्ध सिंह के बयान का खुद उनकी पार्टी के कुछ विधायकों ने विरोध किया। मंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि इलाके में कोई तनाव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मस्जिद मूल रूप से 1960 से पहले बनाई गई थी और 2010 में वक्फ बोर्ड की जमीन पर तीन अतिरिक्त मंजिलें अवैध रूप से जोड़ी गईं।’

निर्माण अवैध पाया गया तो उसे ढहाया जाएगा – PWD मंत्री 

वहीं हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि विवादित मस्जिद का मामला कोर्ट में है। यदि निर्माण अवैध पाया गया तो उसे ढहाया जाएगा। विक्रमादित्य सिंह मामले को राजनीति से दूर रखने की अपील करते हुए कहा, ‘शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद मामले में हर काररवाई कानून के मुताबिक की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में कानून का राज है और यहां हर कार्य कानून के मुताबिक होता है। यहां सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं है।’

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