1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. सेना की फायरिंग रेंज जमीन पर अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट का सख्त रुख, एलडीए व आवास विकास से मांगी रिपोर्ट
सेना की फायरिंग रेंज जमीन पर अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट का सख्त रुख, एलडीए व आवास विकास से मांगी रिपोर्ट

सेना की फायरिंग रेंज जमीन पर अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट का सख्त रुख, एलडीए व आवास विकास से मांगी रिपोर्ट

0
Social Share

लखनऊ, 7 सितंबर। उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राजधानी में सेना के अर्जुनगंज फायरिंग रेंज की जमीनों पर लोगो द्वारा अतिक्रमण करके अवैध रूप से कब्जा किए जाने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने मामले में एलडीए व आवास विकास परिषद से पूछा है कि पहले के आदेश के तहत अतिक्रमण का सर्वे करने करने को उन्होंने क्या कारवाई की है? कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को नियत की है।

अदालत ने पहले मामले में एलडीए व आवास विकास परिषद को इलाके में अतिक्रमण का सर्वे करने करने का आदेश दिया था, जिससे इसकी जिम्मेदारी तय हो सके। इसको लेकर अदालत ने पूछा है कि बीते 12 अगस्त को दिए आदेश के अनुपालन में क्या कारवाई की गई?

अदालत ने बीते 12 अगस्त को आदेश में कहा था कहा कि मामले में नियुक्त न्यायमित्र अधिवक्ता ने बताया है कि सेना के अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण रोकने के बार-बार अनुरोध के बावजूद राज्य सरकार व एलडीए के अधिकारी अपने आंख व कान बंद किए रहे, जिससे कब्जा होता रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि अब सेना वहां लॉन्ग रेंज फायरिंग प्रैक्टिस नहीं कर सकती और अब सिर्फ शॉर्ट रेंज फायरिंग प्रैक्टिस ही की जा सकती है।

न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश ब्रिगेडियर त्रिबेणी प्रसाद की वर्ष 2011 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में सेना की फायरिंग रेंज रेंज की जमीनों पर अवैध कब्जों का मुद्दा उठाया गया है। अदालत के आदेश पर केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि अतिक्रमण से सेना भरी और घातक हथियारों की जगह सिर्फ छोटे हथियारों का अभ्यास कर पा रही है। जबकि, हल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना को भारी हथियारों की ट्रेनिंग और अभ्यास की जरूरत पड़ी।
ऐसे में वहां अतिक्रमण को हटाना जरूरी है।

वहीं, राज्य सरकार की अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि फायरिंग रेंज के सर्वे के लिए अधिकारियों की टीम बन गई है, जिससे 11 दिसंबर 2020 को जारी अधिसूचना को बढ़ाने पर 30 सितंबर से पहले निर्णय ले लिया जाएगा। अदालत के संज्ञान में यह भी आया था कि इस फायरिंग रेंज की अधिसूचना वर्ष 1977 में जारी हुई थी, जो, समय – समय पर बढ़ती रही। अब, सितम्बर 2025 में यह समाप्त हो रही है। हालांकि, केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया था कि अधिसूचना का कार्यकाल बढ़ाए जाने का अनुरोध राज्य सरकार से किया जा चुका है। इस पर कोर्ट ने सरकार को जल्द निर्णय लेकर अवगत कराने का आदेश दिया था।

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code