
यूपी में बिजली कर्मियों की हड़ताल पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से पूछा – हड़ताली कर्मचारियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया
प्रयागराज, 20 मार्च। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को गंभीरता से लेते हुए सोमवार को कहा कि लोगों के जीवन की कीमत पर मांगें नहीं की जा सकती और राज्य सरकार से पूछा कि हड़ताली कर्मचारियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
लोगों के जीवन की कीमत पर मांगें नहीं की जा सकतीं
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एस.डी. सिंह की पीठ ने अपर महाधिवक्ता से दोषी कर्मचारियों के खिलाफ की गई काररवाई के बारे में पूछा। अदालत ने मामले को गंभीर करार देते हुए कहा कि लोगों के जीवन की कीमत पर मांगें नहीं की जा सकती हैं और राज्य सरकार से इस हड़ताल से हुए राजस्व और अन्य नुकसान के बारे में बताने को कहा।
अदालत ने कहा, ‘मामला यह नहीं है कि हड़ताल खत्म हो गई है बल्कि यह बहुत गंभीर मामला है। किसी को भी लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इन लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। लोगों के जीवन को मुश्किल में डालकर मांग नहीं की जा सकती।’ अदालत इस मामले में मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे फिर से सुनवाई करेगी।
हाई कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं के खिलाफ जारी किया था जमानती वारंट
गौरतलब है कि 17 मार्च को न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आयोजक शैलेंद्र दुबे और कई अन्य लोगों के माध्यम से इसके पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था और उन्हें 20 मार्च को पूर्वाह्न 10 बजे अदालत में पेश होने के लिए कहा था।
बिजली विभाग के कर्मचारी 16 मार्च की रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर थे और उनके नेताओं एवं राज्य के ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा के बीच कई दौर की वार्ता के बाद हड़ताल खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों का सम्मान करते हुए हड़ताल खत्म करने का फैसला किया गया।
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल लगभग 65 घंटे बाद रविवार को खत्म हुई थी
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों की हड़ताल लगभग 65 घंटे बाद रविवार को दिन में करीब तीन बजे खत्म हुई। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आयोजक शैलेंद्र दुबे ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) के निर्देशों का सम्मान करते हुए, ऊर्जा मंत्री के साथ सकारात्मक बातचीत और उच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए हमने व्यापक जनहित में 72 घंटे की अपनी सांकेतिक हड़ताल को एक दिन पहले खत्म करने का फैसला किया है।’