मंदसौर गोली कांड : जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने का आदेश देने से हाई कोर्ट का इनकार
इंदौर, 25 अक्टूबर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में मंदसौर में हुए गोली कांड की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति जैन आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश किए जाने की गुहार वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने कानूनी प्रावधानों की रोशनी में फैसला किया कि गोली कांड को सात साल गुजर जाने के बाद आयोग की जांच रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने का अदालती आदेश (रिट) जारी किए जाने का कोई आधार नहीं है।
रतलाम के पूर्व विधायक पारस सखलेचा ने जनहित याचिका में कहा था कि गोली कांड की जांच के बाद न्यायमूर्ति जैन आयोग ने 13 जून 2018 को राज्य सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन इस रिपोर्ट पर अब तक कोई काररवाई नहीं की गई है।
याचिका में दलील दी गई थी कि वर्ष 1952 के जांच आयोग अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक, राज्य सरकार को रिपोर्ट प्राप्त करने के छह महीने के भीतर इसे विधानसभा के सामने पेश करना चाहिए था और इसके साथ ही यह ब्योरा भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए था कि इस रिपोर्ट पर कौन-से कदम उठाए गए हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने सखलेचा व प्रदेश सरकार की ओर से पेश दलीलों और कानूनी प्रावधानों पर गौर करने के बाद पूर्व विधायक की याचिका 14 अक्टूबर को खारिज कर दी। युगल पीठ ने शीर्ष अदालत की एक नजीर के हवाले से कहा कि यदि आयोग की जांच रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष नहीं रखी गई, तो सदन का कोई भी सदस्य प्रश्न पूछ कर इसे पेश किए जाने की मांग कर सकता था।
अदालत ने इस बात को सही ठहराया कि संबंधित कानून में इसका कोई उल्लेख नहीं है कि आयोग की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने के छह महीने के भीतर संसद या राज्य के किसी विधान मंडल में पेश नहीं की जाती है, तो इसके क्या परिणाम होंगे। अपनी उपज के बेहतर दामों की मांग को लेकर मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर छह जून 2017 को पुलिस की गोलीबारी के बाद छह कृषकों की मौत हो गई थी।