लखनऊ, 16 नवम्बर। यूपी पुलिस के खराब आचरण को लेकर उत्तर प्रदेश शासन काफी गंभीर है। सूबे के गृह विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मी न सिर्फ थाने में शिकायत लेकर आए पीड़ितों और आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं वरन पुलिस अधिकारियों तथा पुलिसकर्मियों द्वारा माननीयों (नेताओं) से भी अच्छा व्यवहार न करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। शासन ने इन शिकायतों को बेहद गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि गृह विभाग ने पुलिसकर्मियों को माननीयों का सम्मान करने की बाबत फिर से कड़े निर्देश जारी किए हैं।
माननीयों का भी सम्मान नहीं कर रहा सूबे का पुलिस महकमा
गृह विभाग के अधिकारियों के अनुसार, शासन स्तर और डीजीपी मुख्यालय से समय समय पर पुलिस अफसरों तथा पुलिसकर्मियों को नेताओं का सम्मान करने तथा उनके द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों पर नियमानुसार काररवाई करने के निर्देश दिए जाते रहे हैं।
माननीय सदस्यों के फोन नहीं उठाते एसपी और थानाध्यक्ष
इसी क्रम में सूबे के प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने बीते दिनों सूबे के सभी पुलिस आयुक्तों, एसएसपी व एसपी को सांसदों व विधानमंडल के सदस्यों के प्रोटोकॉल का अनुपालन कराए जाने को लेकर विस्तृत निर्देश दिए हैं। इस निर्देश में कहा गया है कि प्रदेश शासन तथा सूबे की संसदीय अनुश्रवण समिति के समक्ष प्रोटोकॉल उल्लंघन के मामले लगातार आ रहे हैं। यह पाया गया है कि सूबे के एसपी और थानाध्यक्ष माननीय सदस्यों के फोन नहीं उठाते और उनसे मिलने के लिए समय तक नहीं देते। पुलिसकर्मियों के इस व्यवहार को प्रमुख सचिव गृह ने अनुचित माना है।
पुलिस अफसरों के लिए जारी किए ये कड़े निर्देश
पुलिसकर्मियों को माननीय सदस्यों का सम्मान करने संबंधी जो प्रोटोकॉल जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि सभी अधिकारी सांसदों व विधानमंडल के सदस्यों के सीयूजी नंबर अथवा उनके द्वारा नोट कराया गया अन्य मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से अपने मोबाइल में फीड करेंगे तथा कॉल आने पर उसे रिसीव करेंगे। बैठक में होने अथवा उपलब्ध न होने की स्थिति में कॉल की जानकारी होने पर प्राथमिकता पर जनप्रतिनिधि को संदेश भेजने के साथ ही कॉल कर बात करेंगे।
जनप्रतिनिधियों द्वारा फोन पर बताए गए प्रकरणों का यथाशीघ्र निस्तारण किया जाए
जनप्रतिनिधियों द्वारा फोन पर बताए गए प्रकरणों का यथाशीघ्र निस्तारण कराकर उन्हें जानकारी भी देंगे। इसके साथ ही जिले के अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के मोबाइल पर उनके क्षेत्र के माननीय का फोन नंबर फीड कराएंगे। निर्देश में यह भी कहा गया है कि जनप्रतिनिधि के जनहित से जुड़े कार्यों के संबंध में यदि अधिकारी व कर्मचारी से भेंट करने पर उन्हें सीट से खड़े होकर यथोचित सम्मान किया जाए।
जान बूझकर की गई गलती को दुराचरण माना जाएगा और काररवाई होगी
जनप्रतिनिधियों से वार्ता में यदि उनके अनुरोध अथवा सुझाव को स्वीकार करने में असमर्थ हों तो अधिकारी उसके कारणों से जनप्रतिनिधियों को विनम्रतापूर्वक अवगत कराएंगे। किसी अनुचित आचरण अथवा जान बूझकर की गई गलती को दुराचरण माना जाएगा और काररवाई होगी। जिलों में प्रोटोकॉल से जुड़े मामलों के लिए हर दो माह में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक किए जाने का भी प्रमुख सचिव गृह ने सूबे के सभी पुलिस अफसरों को निर्देश दिया है।