1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. सरकार ने संसद को दी जानकारी – पैंगोंग में चीनी पुल गैरकानूनी कब्जा, भारत ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया
सरकार ने संसद को दी जानकारी – पैंगोंग में चीनी पुल गैरकानूनी कब्जा, भारत ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया

सरकार ने संसद को दी जानकारी – पैंगोंग में चीनी पुल गैरकानूनी कब्जा, भारत ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया

0
Social Share

नई दिल्ली, 5 फरवरी। केंद्र सरकार ने संसद को जानकारी दी है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा जिस इलाके में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है, वह 1962 से बीजिंग के गैरकानूनी कब्जे में है। विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने शुक्रवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

मुरलीधरन ने कहा, ‘भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया। सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।’

पैंगोंग के उत्तरी तट पर चीनी सैन्य फील्ड बेस के निकट स्थित है 8 मीटर चौड़ा पुल

गौरतलब है कि आठ मीटर चौड़ा पुल, पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के फील्ड बेस के ठीक दक्षिण में स्थित है, जहां 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध के दौरान चीनी क्षेत्र के अस्पतालों और सैनिकों के आवास देखे गए थे।

वर्ष 2020 के बाद से दोनों पक्षों के 50,000 से अधिक सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में डेपसांग के मैदानों से लेकर उत्तर में डेमचोक क्षेत्र तक और दक्षिण में तैनात किया गया है। यह तैनाती खासकर गलवान नदी क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक गतिरोध के बाद की गई है, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।

लद्दाख में गतिरोध पर चीन के साथ बातचीत तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित

मुरलीधरन ने यह भी कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को लेकर चीन के साथ बातचीत तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है। पहला यह कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा का पूरी तरह सम्मान करेंगे। दूसरा यह कि कोई भी पक्ष यथास्थिति बदलने का प्रयास नहीं करेगा और तीसरा सिद्धांत यह कि दोनों पक्ष सभी समझौतों का पूर्णत: पालन करेंगे।

भारत और चीनी कमांडरों के बीच गत 12 जनवरी को हुई थी अंतिम दौर की वार्ता

भारत और चीन के वरिष्ठ कमांडरों के बीच अंतिम दौर की वार्ता 12 जनवरी को हुई थी। वे इस बात पर सहमत हुए थे कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल करते हुए शेष मुद्दों के समाधान के लिए जल्द से जल्द काम करेंगे। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने की खबरों पर, सरकार ने दोहराया कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का अभिन्न अंग है।

सेना के तीनों अंगों में 9,920 अधिकारियों की कमी

दूसरी ओर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सेना के तीनों अंगों में 9,920 अधिकारियों की कमी है। मंत्री के अनुसार, सबसे अधिक 7,791 की कमी थल सेना में है। वायुसेना में 1,557 और नौसेना में 572 अधिकारियों की कमी है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code