जी-20 संस्कृति मंत्रिस्तरीय बैठक में बोले जी किशन रेड्डी – अतीत का स्तंभ और भविष्य का मार्ग है सांस्कृतिक विरासत
वाराणसी, 26 अगस्त। केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शनिवार को यहां कहा कि सांस्कृतिक विरासत अतीत का स्तंभ व भविष्य का मार्ग, दोनों है। रेड्डी आज ही संपन्न जी-20 संस्कृति मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने साथ ही संस्कृति मंत्रिस्तरीय घोषणा का नाम काशी सांस्कृतिक मार्ग रखे जाने का आग्रह किया।
संस्कृति मंत्रिस्तरीय घोषणा का नाम काशी सांस्कृतिक मार्ग रखे जाने का आग्रह
केंद्रीय मंत्री ने अपने समापन भाषण में कहा, ‘संस्कृति कार्य समूह की चार बैठकों के दौरान आठ महीनों में हम एक मजबूत आउटकम डॉक्युमेंट तैयार करने में सफल रहे, जो रोम और बाली घोषणापत्रों की विरासत में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस बैठक में हमारे प्रयासों ने हमें एक अहम मोड़ पर ला दिया है, जहां लगभग सभी बिंदुओं पर सर्वसम्मति से सहमति बनी है। हमें इससे जुड़ी महत्वाकांक्षा, अग्रगामी विजन और उद्देश्य पर गर्व होना चाहिए, जिसे हम अपनाने जा रहे हैं। यह वास्तव में इस बात का प्रमाण है कि संस्कृति सभी को एकजुट करती है। इसी भावना के साथ मैं आपसे इस उपलब्धि का नाम काशी संस्कृति मार्ग रखने के लिए कहना चाहूंगा।’
किशन रेड्डी ने कहा, ‘हमने पुष्टि की है कि सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी और बहाली सामाजिक न्याय की अनिवार्यता है और हम जी-20 सदस्यों के रूप में, उस उद्देश्य के लिए निरंतर बातचीत को ध्यान में रखते हुए शर्तों को समर्थ बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ उन्होंने अपने विचारों का समापन यह कहते हुए किया, ‘मुझे प्रतीकात्मक रूप से आउटकम डॉक्युमेंट और अध्यक्ष के सारांश जिसका हमने समर्थन किया है और संस्कृति कार्य समूह की शर्तों की पुष्टि करने दीजिए।’
‘जी-20 संस्कृति कार्य समूह ने जारी की रिपोर्ट
भारत की जी-20 अध्यक्षता के नेतृत्व में जी-20 संस्कृति कार्य समूह (सीडब्ल्यूजी) ने इस अवसर पर ‘जी-20 संस्कृति : समावेशी विकास के लिए वैश्विक आख्यान को आकार देना’ शीर्षक से एक अहम रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में भारत की अध्यक्षता में व्यक्त प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ग्लोबल थीमैटिक वेबिनार से प्राप्त जानकारियां और सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया गया है। रिपोर्ट से मिली जानकारियों से हमारी सामूहिक समझ को गहरा करने में निरंतर लगे रहने के महत्व का पता चलता है।
इन वेबिनार की एक प्रमुख विशेषता विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और विषयों के रिकॉर्ड 159 विशेषज्ञों की मजबूत और विविध भागीदारी थी। इस व्यापक सहयोग ने न केवल चर्चाओं को समृद्ध किया, बल्कि वैश्विक नीति निर्माण में संस्कृति की भूमिका के समग्र और बहुमुखी खोज को भी बढ़ावा दिया। जी 20 सदस्यों, अतिथि राष्ट्रों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और अन्य हितधारकों का प्रतिनिधित्व करने वाले इन विशेषज्ञों का सामूहिक ज्ञान चर्चा में शामिल विषयों की सार्वभौमिकता को रेखांकित करता है और रिपोर्ट की विश्वसनीयता और गहराई को बढ़ाता है।
इस अवसर पर भारत की जी-20 की अध्यक्षता के सीडब्ल्यूजी के तहत ‘संस्कृति सभी को एकजुट करती है’ के विशेष अभियान की यात्रा को चिह्नित करते हुए एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया गया।
पीएम मोदी ने वीडियो लिंक के माध्यम से अतिथियों का स्वागत किया
इसके पूर्व दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो लिंक के माध्यम से बैठक को संबोधित किया था। पीएम मोदी ने वाराणसी में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और इस बात पर खुशी व्यक्त की कि जी-20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक यहां हो रही है, क्योंकि यह शहर उनका संसदीय क्षेत्र है।
काशी को सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक करार देते हुए पीएम मोदी ने सारनाथ शहर का उल्लेख किया, जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। उन्होंने कहा, ‘काशी को ज्ञान, कर्तव्य और सत्य के खजाने के रूप में जाना जाता है और यह वास्तव में भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी है।’ उन्होंने मेहमानों को गंगा आरती कार्यक्रम देखने, सारनाथ की यात्रा करने और काशी के व्यंजनों का लुत्फ उठाने का सुझाव दिया।
जी किशन रेड्डडी ने अपने उद्घाटन भाषण में जी-20 देशों के मंत्रियों, आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों का विश्व के सबसे पुराने निरंतर जीवित शहरों में से एक वाराणसी में स्वागत किया, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी संसद में वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
किशन रेड्डी ने कहा कि गंगा के किनारे एक शाश्वत शहर के रूप में, वाराणसी संस्कृति, कला और परंपराओं को समाहित करता है, जो इसे संस्कृति की इस जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए एक उपयुक्त पृष्ठभूमि बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सांस्कृतिक विरासत अतीत का स्तंभ और भविष्य का मार्ग है।