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स्वतंत्रता सेनानी और भगवदगीता

स्वतंत्रता सेनानी और भगवदगीता

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हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता और निष्ठा तो हम सभी को भाती है। लेकिन उसमें गीता का कितना बड़ा योगदान रहा है ये हमेशा नज़रअंदाज़ किया जाता है।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के वैसे तो सभी नायकों ने गीता को अपने जीवन में एक अहम जगह दी है। आज हम कुछ खास स्वतंत्रता सेनानी और उनके गीता के साथ संबंध के बारे में आपको बताना चाहेंगे:

  • महात्मा गाँधी: गाँधीजी गीता को “माँ” कहा करते थे। वे कहते थे कि जीवन में जब भी कोई बात उन्हें ज्यादा परेशान करती है तो वे गीता के किसी श्लोक के साथ समय बिताते हैं। और कुछ ही देर में स्वयं को शांत पाते हैं।
  • भगत सिंह: “मैं नास्तिक क्यों हूँ”, इस लेख का खूब प्रचार-प्रसार किया जाता है। ये दिखाने के लिए कि भगत सिंह का अध्यात्म या धर्म से कोई संबंध नहीं था। लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं जेल में भी गीता उनके साथ थी, वे उसका पाठ करते थे। उनकी गीता की प्रति आज भी उनके जन्मस्थान पर बने संग्रहालय में मौजूद है।
  • राम प्रसाद बिस्मिल: उनके बारे में बताया जाता है कि वे जेल में भी संध्या आरती किया करते व वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए फाँसी को चढ़ गए थे।
  • चंद्रशेखर आज़ाद और उनके साथी: आंदोलन के दिनों में प्रेरणा हेतु वे सभी गीता का पाठ किया करते, भारतीय दर्शन का अध्ययन भी करते थे।
  • राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी: भगत सिंह के साथी, जिन्हें काकोरी काण्ड का मास्टरमाइंड कहा जाता है। इनके साथ जुड़ा एक प्रसिद्ध किस्सा है कि कैसे जब इन्हें फाँसी की सज़ा देने के लिए जेलर पहुँचे तो भी वे गीता पाठ और व्यायाम कर रहे थे।
  • मदनलाल ढींगरा: देशभर के युवाओं में आज़ादी का जोश भरने में इनका बड़ा योगदान था, खुद भगत सिंह भी उन्हें अपना आदर्श मानते थे। बताया जाता है कि उन्हें गीता से इतना प्रेम था कि वे अपने हाथ में गीता लिए ही फाँसी को चढ़ गए थे।
  • खुदीराम बोस: देश के सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक। मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्हें फाँसी की सज़ा सुना दी गई थी, और ये भी हाथ में गीता लिए फाँसी को चढ़ गए थे।
  • बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय: ‘वंदेमातरम्’ स्वतंत्रता आंदोलन का नारा बना, वो उन्हीं की रचना आनंदमठ से लिया गया था। जीवनभर उन्हें गीता से प्रेरणा मिली और अपने आखिरी दिनों में गीता व श्रीकृष्ण के जीवन पर पुस्तक लिखी।
  • लोकमान्य तिलक: अंग्रेज़ों ने इन्हें “फादर ऑफ इण्डियन अनरेस्‍ट” कहकर बुलाया। इन्होंने स्वयं गीता पर एक पुस्तक लिखी और ये भी कहा कि उनके हिसाब से देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि यहाँ का प्रत्येक नागरिक गीता को पढ़े और समझे।

ये सूची बहुत आगे तक जाती है, लेकिन हमने कुछ ऐसे नाम आपके सामने रखने का प्रयास किया जिनके जीवन की बहुत-सी बातें प्रसिद्ध हैं लेकिन उनका गीता के लिए प्रेम नहीं।

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