1. Home
  2. हिन्दी
  3. खेल
  4. खिलाड़ियों से दुर्व्यवहार पर छलका पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद का दर्द, कहा – यह देश के सम्मान के लिए ठीक नहीं
खिलाड़ियों से दुर्व्यवहार पर छलका पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद का दर्द, कहा – यह देश के सम्मान के लिए ठीक नहीं

खिलाड़ियों से दुर्व्यवहार पर छलका पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद का दर्द, कहा – यह देश के सम्मान के लिए ठीक नहीं

0
Social Share

झांसी, 2 जून। हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद ने खिलाड़ियों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि यह जो कुछ हो रहा है, उससे खिलाड़ियों के सम्मान के साथ साथ देश के सम्मान को भी ठेस लग रही है। उन्होंने खिलाड़ियों को भी थोड़ा संयम रखने को कहा और सरकार से कहा “आशा करता हूं कि हमारी सरकार जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति पर कार्य कर रही है, वह खिलाडियों के दर्द को समझेगी और अपनी समझबूझ और विवेक से इसका निस्तारण करेगी।”

बता दें कि दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले तीन महीनों से प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार पर हॉकी के जादूगर कहलाने वाले मेजरध्यानचंद के बेटे और अपने शानदार खेल के बल पर हॉकी विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे अशोक ध्यानचंद ने आज कहा कि यह स्थिति न तो खिलाडियों और न ही देश, किसी के लिए भी ठीक नहीं है। इसको शायद हम नहीं समझ पा रहे हैं। यह बेहद गंभीर बात है और इस पर तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि जो उनके साथ हो रहा है ऐसा किसी भी खिलाड़ी के साथ हो सकता है। हम खुद को उनकी जगह रखकर यह बात कह रहे हैं। हम जिन लोगों और सरकारों पर निर्भर करते हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खिलाड़ी पानी और पत्थर की तरह होता है एक ओर जहां वह पत्थर के जैसा कठोर होता है तो दूसरी ओर पानी के जैसे मुलायम भी होता है। खिलाड़ियों ने अगर किसी बात को लेकर आपत्ति खड़ी की थी तो इस छोटी सी बात को काफी पहले ही अच्छी तरह से सुलझा लिया जाना चाहिए था। अगर ऐसा हो जाता तो आज स्थिति इतनी खराब न हुई होती जो हुआ वह बेहद दुखी और व्यथित करने वाला था।

हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और यश भारती पुरस्कार से सम्मानित अशोक ध्यानचंद ने कहा कि मैं उनको अपने साथ जोड़कर उनका दुख महसूस कर रहा हूं। मैं सोच रहा था कि बात इतना तूल नहीं पकड़ेगी और सरकार मामले को अच्छी तरह से सुलझा लेगी लेकिन खिलाडियों को बिल्कुल ही अनदेखा कर दिया गया। तीन माह से वह अपनी बात पर अड़े सड़क पर बैठे हैं। मैंने कहा न कि अगर खिलाड़ी एक ओर बेहद कठोर होता है तो दूसरी ओर बेहद नरम भी होता है। अगर खिलाड़ियों से सहानुभूतिपूर्वक बात ही कर ली जाती तो खिलाड़ी ऐसा नहीं करते। यह जो हो रहा है उससे खिलाड़ियों के साथ देश की छवि भी धूमिल हो रही है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code